गंगा जल..अमृत कहे जाने वाले इस जल की गुणवत्ता आज खतरे में है|लोगों द्वारा गंगा में फैलायी जा रही गंदगी..गंदे नालों का पानी और छोटे उद्योगों से निकलने वाला गंदा पानी गंगा के पानी को दूषित के साथ साथ विषैला बना रहा है|अब इसरो ने गंगा जल की गुणवत्ता जांचने का फैसला लिया है और इस रिसर्च में उसने पटना एनआईटी का सहयोग मांगा है|दरअसल इस मकसद के पीछे गंगा जल की गुणवत्ता और उसमें सुधार की गुंजाइश को लेकर इसरो ने अपने प्रोजेक्ट असेसमेंट ऑफ वाटर क्वालिटि पारामीटर ओवर मेजर इंडियन इनलैंड वॉटर बॉडिज के लिए आंकड़े इकट्ठा करना चाहता है| और इसके लिए उसने पटना एनआईटी को चुना है|इसरो इस काम को एनआईटी स्थित सेंटर फॉर रिवर स्टडीज के सहयोग से पूरा करेगा|इस प्रोजेक्ट के कॉर्डिनेटर रामाकार झा बताते हैं कि नार्थ इस्ट रीजन में संभवत:पटना एनआईटी ऐसी पहली जगह है जिसे इसरो ने इस कार्य के लिए चुना है|पानी की गुणवत्ता जांचने के लिए उत्तरप्रदेश के कानपुर और वाराणसी के बाद बिहार के भागलपुर और पटना को चुना गया है जहां के पानी की जांच की जाएगी प्रोफेसर रामाकर बताते हैं कि जांच के लिए कई पैरामीटर तय किए गए हैं जिसमें क्लोरोफिल, पानी का ऑक्सीजन लेवल साथ ही नदी की गाद की क्या स्थिति है इसके बारे में जानकारी जुटायी जाएगी| इसरो इसके लिए एनआईटी पटना को फंडिंग भी कर रहा है|इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए इसरो सेटेलाइट की भी मदद लेगा|
इस पूरे प्रोजेक्ट में प्रोफेसर रामाकर झा के अलावा स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के शरद चांदेर के अलावा प्रोफेसर विवेकानंद सहित दूसरे लोग भी शामिल होंगे|