साल 2017 के इंटरमीडिएट परीक्षा के रिजल्ट ने राज्य में शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है| तकरीबन 65-70 परसेंट छात्र इस परीक्षा में फेल कर गए हैं| सूबे में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने में लगी नीतीश कुमार की सरकार के लिए ये किसी झटका से कम नहीं है| सरकार अब ऐसे स्कूलों पर लगाम लगाने की तैयारी में है जिस स्कूल के सभी बच्चे फेल कर गए हैं| राज्य भर में दर्जनों स्कूल कॉलेज ऐसे हैं जहां का कोई छात्र परीक्षा में पास नहीं हो सका है| ऐसे नकारे स्कूल को बिहार सरकार ने गंभीरता से लिया है| मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह की मानें तो ऐसे स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी| उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा है कि जिन स्कूलों के स्टूडेंट्स इंटरमीडिएट परीक्षा में हंड्रेड परसेंट फेल रहे होंगे, वहां के टीचर बख्शे नहीं जाएंगे | वहां के सभी शिक्षक बर्खास्त किये जाएंगे| किसी भी टीचर को छोड़ा नहीं जायेगा और न ही कार्रवाई के लिए कोई लंबा प्रॉसेस अपनाया जायेगा| शो कॉज का जवाब देने का एक मौका देते हुए 15 दिनों के अंदर उन्हें बर्खास्त कर दिया जायेगा| गौरतलब है कि इंटरमीडिएट रिजल्ट में आयी गिरावट को लेकर पूरे बिहार के छात्र आक्रोशित हैं| लगभग 65 से 70 परसेंट तक स्टूडेंट्स के फेल किये जाने को लेकर वे पिछले पांच दिनों से लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं|
मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने कहा है कि शिक्षकों के अलावा बेहद खराब रिजल्ट देनेवाले प्रखंडों के बीइओ पर भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी| बीइओ की भी जिम्मेवारी बनती है कि वे तमाम स्कूलों का रेगुलर इंस्पेक्शन करें और अपनी रिपोर्ट सरकार को नियमानुसार दें| उन्होंने कहा कि किसी स्कूल के सभी स्टूडेंट्स फेल हुए हैं, तो इसका मतलब है कि वहां पढ़ाई नहीं चल रही थी| लेकिन बीइओ ने इसकी रिपोर्ट सीनियर अफसरों को नहीं दी| गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हर हाल में जरूरी है| बताया जाता है कि सूबे के 10 जिले ऐसे हैं, जहां के 654 स्कूल-कॉलेजों में कोई भी बच्चा पास नहीं किया है|