कोरोना की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी 23.9 फीसदी तक गिर गई। लेकिन अब अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) का कहना है कि अगर भारत ने तेजी से सुधार के कदम उठाए तो वित्त वर्ष 2021-22 में विकास दर 8.8 फीसदी तक पर पहुंच सकती है।
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IMF के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी की चपेट में आई भारतीय अर्थव्यवस्था को इस भयानक संकट से उबारने के लिए सरकार को राजकोषीय और मौद्रिक उपायों के साथ ही संरचनात्मक उपाय भी करने होंगे। आईएमएफ ने अपने अनुमानों में कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था में वित्त वर्ष 2020 के दौरान 10.3 प्रतिशत तक की गिरावट हो सकती है।
मिली जानकारी के मुताबिक आईएमएफ का मानना है कि 2021 में भारत की विकास दर प्रभावशाली सुधार दर्ज करते हुए 8.8 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच सकती है, लेकिन इसके लिए देश को विभिन्न क्षेत्रों में अपने प्रयासों को तेज करना होगा।
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IMF के शोध विभाग के प्रभाग प्रमुख मल्हार श्याम नाबर ने आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक की वार्षिक बैठक के मौके पर कहा कि निश्चित रूप से आगे जो बातें की जा सकती हैं, उनमें राजकोषीय उपाय शामिल हैं, लेकिन IMF का मानना है कि इस महामारी से प्रभावित हुए परिवारों और कंपनियों को मदद पहुंचाना अधिक जरूरी है।
उन्होंने आगे कहा कि प्रत्यक्ष खर्च और टैक्स राहत उपायों पर अधिक जोर देने की जरूरत है, और नकदी समर्थन, ऋण गारंटी जैसे उपायों पर थोड़ा कम भरोसा करने की आवश्यकता है, हालांकि ये अर्थव्यवस्था में ऋण प्रावधान बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के उपायों पर अधिक जोर दिया गया। लेकिन आईएमएफ को लगता है कि प्रत्यक्ष राहत और व्यय समर्थन अधिक मात्रा में मुहैया कराने की जरूरत है।
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वहीं IMF ने कोरोना संकट के बीच प्रति व्यक्ति जीडीपी के आंकड़े को साझा किया है। इसमें दर्शाया गया है कि भारत में प्रति व्यक्ति जीडीपी में गिरावट जारी रह सकती है। 2020 में ये 1880 डॉलर तक रह सकती है. जबकि बांग्लादेश में ये आंकड़ा बढ़ेगा और अभी 1876 डॉलर तक पहुंचेगा।
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