नई दिल्ली। ‘आयो रे आयो…रिद्धि सिद्धि लायो… गणपति बाप्पा मोरया’। आज है गणेश चतुर्थी, भाद्रपद मास की चतुर्थी से चतुर्दर्शी तक यह उत्सव मनाया जाता है। इन 10 दिनों में बप्पा अपने भक्तों के घर विराजते हैं, और उनके दुख हरकर ले जाते हैं। यही वजह है कि लोग उन्हें अपने घर में विराजमान करते हैं। 10 दिन बाद ढोल-नगाड़े के साथ उनको विदाई दी जाती है।
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गणेशोत्सव मुहूर्त
- 13 सितंबर मध्याह्न गणेश पूजा का समय – 11:03 से 13:30 बजे तक
- 13 सितंबर को, चन्द्रमा को नहीं देखने का समय – 09:31 से 21:12 बजे तक
- चतुर्थी तिथि समाप्त – 13 सितम्बर 2018 को 14:51 बजे
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ऐसा हो पूजा स्थल
आज आप इस समय अपने घर गणपति को विराजमान करें। कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं। चार हल्दी की बंद लगाएं। एक मुट्ठी अक्षत रखें। इस पर छोटा बाजोट, चौकी या पटरा रखें। लाल, केसरिया या पीले वस्त्र को उस पर बिछाएं। रंगोली, फूल, आम के पत्ते और अन्य सामग्री से स्थान को सजाएं। तांबे का कलश पानी भर कर, आम के पत्ते और नारियल के साथ सजाएं। यह तैयारी गणेश उत्सव के पहले कर लें।
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गणेशोत्सव मुहूर्त
- 13 सितंबर मध्याह्न गणेश पूजा का समय – 11:03 से 13:30 बजे तक
- 13 सितंबर को, चन्द्रमा को नहीं देखने का समय – 09:31 से 21:12 बजे तक
- चतुर्थी तिथि समाप्त – 13 सितम्बर 2018 को 14:51 बजे
ऐसा हो पूजा स्थल
आज आप इस समय अपने घर गणपति को विराजमान करें। कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं। चार हल्दी की बंद लगाएं। एक मुट्ठी अक्षत रखें। इस पर छोटा बाजोट, चौकी या पटरा रखें। लाल, केसरिया या पीले वस्त्र को उस पर बिछाएं। रंगोली, फूल, आम के पत्ते और अन्य सामग्री से स्थान को सजाएं। तांबे का कलश पानी भर कर, आम के पत्ते और नारियल के साथ सजाएं। यह तैयारी गणेश उत्सव के पहले कर लें।