नई दिल्ली। नवरात्र में विशेष तौर पर मां का पूजन किया जाता है। लेकिन अष्टमी के दिन कन्याओं की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। जो लोग व्रत रखते हैं वो आज कन्या पूजन कर अपना व्रत का समापन करते हैं। इसमें 2 साल से लेकर 10 साल की कन्याओं का पूजन किया जाता है।
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कन्या पूजन की विधि-
- कन्या भोज और पूजन के लिए कन्याओं को एक दिन पहले ही आमंत्रित कर दिया जाता है।
- मुख्य कन्या पूजन के दिन इधर-उधर से कन्याओं को पकड़ के लाना सही नहीं होता है।
- गृह प्रवेश पर कन्याओं का पूरे परिवार के साथ पुष्प वर्षा से स्वागत करें और नव दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाएं।
- अब इन कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह बिठाकर सभी के पैरों को दूध से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से उनके पैर धोने चाहिए और पैर छूकर आशीष लेना चाहिए।
- उसके बाद माथे पर अक्षत, फूल और कुमकुम लगाना चाहिए।
- फिर मां भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं।
- भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा, उपहार दें और उनके पुनः पैर छूकर आशीष लें।
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जानें, अष्टमी के दिन कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त क्या है?
- पहला मुहूर्त- सुबह 6 बजकर 28 मिनट से 9 बजकर 20 मिनट तक।
- दूसरा मुहूर्त- सुबह 10 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 12 मिनट तक।