नई दिल्ली। 24 अक्टूबर को इस साल की शरद पूर्णिमा है। इसे अश्विन माह की पूर्णिमा भी कहते हैं। साल में जितनी भी पूर्णिमा आती है उनमे से इस पूर्णिमा को सबसे बड़ी पूर्णिमा मानी जाती है।
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इसी रात भगवान श्रीकृष्ण ने यमुना के तट पर गोपियों संग महारास रचाया था। इसलिए इसे रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। मान्यता है कि माता लक्ष्मी इस रात्रि भूलोक के भ्रमण पर होती हैं और जो भी मनुष्य उन्हें जागरण करते हुए मिलता है उस पर अपनी कृपा बरसाती हैं। इस दिन चंद्रमा, पृथ्वी के अत्यंत समीप आ जाता है।
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इस रात्रि में चंद्रकिरणों का शरीर पर पड़ना बहुत शुभ माना जाता है। इस रात्रि खुले आसमान में खीर बनाकर रखने और प्रात: काल इसका सेवन करने से खीर अमृत के समान हो जाती है। चांदनी में रखी यह खीर औषधि का काम करती है और कई रोगों को ठीक कर सकती है। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और कार्तिकेय की भी पूजा की जाती है।
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