नई दिल्ली। बिहार में एनडीए में चल रही सीट बंटवारे को लेकर चल रही खींचतान के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सीट बंटवारे पर असंतुष्ट आरएलएसपी एनडीए से अलग होने के बाद शरद यादव की पार्टी एलजेडी के साथ विलय की तैयारी में है। बता दें कि, बिहार में महागठबंधन से अलग होकर बीजेपी के साथ सरकार बनाने पर शरद यादव और नीतीश कुमार के बीच मतभेद उभरे थे। इसके बाद शरद यादव ने जेडीयू से अलग होकर नई पार्टी बनाई। फिलहाल वह बिहार में जेडीयू-बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को मजबूत करने में जुटे हैं।
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दोनों ही पार्टी के करीबी सूत्रों के मुताबिक आरएलएसपी चीफ और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा और एलजेडी संरक्षक शरद यादव के बीच विलय को लेकर पिछले दिनों लंबी बातचीत हुई है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक अब विलय को लेकर बातचीत अंतिम दौर में है और यह कभी भी संभव है।
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उधर, उपेंद्र कुशवाहा फिलहाल दो नावों पर सवारी करते नजर आ रहे हैं। दरअसल, एक तरफ उन्होंने बीजेपी को 30 नवंबर तक बिहार में सीटों के बंटवारे पर अंतिम निर्णय लेने का अल्टिमेटम दिया है। उधर, दूसरी तरफ विपक्षी पार्टी के साथ विलय की तैयारी में भी जुटे हुए हैं।
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चिराग ने कुशवाहा को दी नसीहत
यही वजह है कि पिछले दिनों लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) ने केन्द्रीय मंत्री कुशवाहा की खिंचाई करे हुए दो नावों की सवारी को लेकर आगाह किया था। एलजेपी संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष चिराग पासवान ने कुशवाहा को निशाने पर लेते हुए कहा था, ‘समयसीमा तय कर और प्रधानमंत्री के सिवाय किसी और से बात नहीं करने का रुख अपनाकर आप दबाव की रणनीति का सहारा ले रहे हैं। इसके अलावा, वह मुख्यमंत्री के खिलाफ बोल रहे हैं। आप गठबंधन का हिस्सा रहते हुए एनडीए के घटकों के खिलाफ नहीं बोल सकते हैं। यह दो नावों में सवारी के जैसा है।’
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इस कारण हो सकता है विलय
दरअसल, बीजेपी और जेडीयू के बीच 50-50 सीट शेयरिंग फॉर्म्युले के बाद से ही एनडीए में मतभेद जारी है। इसे लेकर लगातार जेडीयू पर हमला बोल रहे आरएलएसपी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने पिछले महीने भी शरद यादव के आवास पर मुलाकात की थी। पार्टी के एक सूत्र ने बताया कि आवास में दोनों के बीच मुलाकात के दौरान भी पार्टी विलय की संभावनाओं पर विचार किया गया था। सूत्रों का यह भी कहना है कि दोनों पार्टियों में काफी समानताएं हैं, ऐसे में इनका विलय संभव हो सकता है। दरअसल, दोनों ही पार्टियां बिहार में नीतीश कुमार का लगातार विरोध कर रही हैं। इसके अलावा दोनों ही पार्टियां सूबे में अपनी जड़ों को मजबूत करने में जुटी हैं।
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