काले धन को बाहर लाने के लिए पीएम मोदी ने नोटबंदी घोषित की थी। नोटबंदी घोषित करने का मुख्य कारण काले धन को बाहर लाना था। लेकिन किसी को क्या पता था कि, काला धन इस तरह बाहर निकलेगा। हम बात कर रहे हैं तमिलनाडु की, वहां एक कब्र से 433 करोड़ रूपये का खजाना मिला।
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जिसे निकालने के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट वक्त वक्त पर छापे मारता रहता है। ये काला धन कभी घर से निकलता है। तो कभी दुकान से। कभी ज़मीन से। तो कभी छत से। कभी बिस्तर के नीचे से तो कभी बाथरूम या दीवार से। मगर इस बार तो हद ही हो गई। ख़ज़ाना ऐसी जगह छुपाया जहां सैकड़ों लोग सो रहे थे। मगर चूंकि वो बोल नहीं पाते, लिहाज़ा छुपाना आसान हो गया। देश के इतिहास में शायद पहली बार इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने एक अनोखी रेड मारी। ये छापा कब्रिस्तान में पड़ा. फिर छापे के दौरान जब एक कब्र खोदा गया तो उसमें से निकला 433 करोड़ रुपये का खज़ाना।
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लोग कहते हैं कब्रिस्तान में आने के बाद दुनियावी कहानी हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो जाती है. इंसान पहले लाश। फिर कंकाल और आखिर में खुद ही कहानी बन जाता है। मगर चेन्नई की कहानी एक कब्र से शुरू होती है। कहानी इंसानी जुर्म की। कहानी हेराफेरी की। कहानी इंसानी लालच की। वो कहानी, जो इससे पहले ना कभी सुनी गई ना सुनाई गई। खुद डिपार्टमेंट के लोग इस कहानी को सुन कर सकते में हैं।
कब्र की कहानी, कब्रिस्तान का रहस्य
28 जनवरी 2019 का दिन। आयकर विभाग को ख़बर मिलती है कि तमिलनाडु के मशहूर सर्वणा स्टोर, लोटस ग्रुप और ज़ी स्कॉवयर के मालिकों ने हाल ही में कैश के जरिए चेन्नई में 180 करोड़ की प्रॉपर्टी खरीदी है। और वो इस डील को छुपाकर टैक्स की हेराफेरी कर रहे हैं। ये खबर इतनी पक्की थी कि आयकर विभाग ने इन कंपनियों के चेन्नई और कोयंबटूर में 72 ठिकानों पर छापा मारने के लिए कई टीमें तैयार कीं। और सुबह से ही आयकर विभाग की टीम इन कंपनियों के ठिकानों पर छापे मारने लगीं। मगर इनकम टैक्स के अधिकारियों के हाथ कुछ भी नहीं लगा. ना रुपये. ना ज़ेवर. ना पेपर।
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