नई दिल्ली। ‘नमो नमो जी शंकरा, भोलेनाथ शंकरा’… आज हर मंदिर में सिर्फ यही जयकारे सुनाई देंगे। हर कोई भोले बाबा की आराधना कर रहा है। सुबह से ही मंदिरों में बाबा बर्फानी के भक्तों की भीड़ लगी हुई है।
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महाशिवरात्री व्रत का महत्व
- इस दिन हिंदू धर्म के लोग व्रत रखते हैं। भगवान शिव को बेल पत्र चढ़ाते हैं।
- महाशिवरात्रि के पवित्र पर्व पर हरिद्वार में भक्तों ने गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाई।
- मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था। यही वजह है कि इस दिन कई जगहों पर शिव मंदिरों को मंडप की तरह सजाया जाता है। साथ ही इस पर्व को विशेष धूमधाम के साथ मनाया जाता है
- शिवरात्रि के दिन को भगवान शंकर का सबसे पवित्र दिन माना जाता है। इस दिन शिवपुराण का पाठ सुनना का भी बहुत महत्व है। रात्रि को जागरण कर शिवपुराण का पाठ सुनना हरेक व्रती का धर्म माना गया है। इसके बाद अगले दिन सुबह के समय जौ, तिल, खीर और बेलपत्र का हवन करके व्रत समाप्त किया जाता है।
- महाशिवरात्रि के दिन ‘जय-जय शंकर, हर-हर शंकर’ का कीर्तन करना चाहिए। इस दिन सामर्थ्य के अनुसार रात्रि जागरण अवश्य करना चाहिए। शिवालय में दर्शन करना चाहिए। कोई विशेष कामना हो तो शिवजी को रात्रि में समान अंतर काल से पांच बार शिवार्चन और अभिषेक करना चाहिए। किसी भी प्रकार की धारा लगाते समय शिवपंचाक्षर मंत्र का जप करना चाहिए।
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कहा तो यह भी जाता है कि, इस दिन व्रत रखने वाले को मनचाहा साथी मिलता है। बिल्कुल भगवान शिव और मां पार्वती की तरह।