शेखपुरा जिले का माइनिंग विभाग बिना माइनिंग ऑफिसर के ही चल रहा है| और तो और सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि जब माइनिंग पदाधिकारी हैं ही नहीं तो आखिर पत्थर लदे वाहनों को चलान कैसे मिल रहा है| ये अपने आप में रहस्य है| विभाग के दूसरे कार्यो का संचालन कैसे चल रहा है ये भी कम बड़ी अचंभे की बात नहीं है| बिहार सरकार का माइनिंग विभाग सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला विभाग है जानकारी के मुताबिक 31 मार्च को ही माइनिंग पदाधिकारी रिटायर्ड हो गए हैं| तब से ये विभाग बिना किसी पदाधिकारी के ही चल रहा है| फिलहाल विभाग में पदाधिकारी के नहीं रहने से विभाग के कामकाज पर इसका असर पड़ रहा है| ऑफिसर के नहीं रहने के चलते नियमों की भी जमकर धज्जियां उड़ायीं जा रही हैं अब सड़कों पर ओवर लोडेड वाहन धड़ल्ले से चल रहे हैं| लेकिन बड़ा सवाल ये है कि जब विभाग में अधिकारी ही नहीं है तो आखिर उन्हें चलान दे कौन रहा है?
जानकारी के अनुसार विभाग ने खनन पदाधिकारी के रिटायर्ड हो जाने के बाद खाली पड़े कुर्सी को किसी वरीय उपसमाहर्ता को प्रभार देकर डीएम को काम चलाने का निर्देश दिया है| लेकिन अभी तक किसी पदाधिकारी को नामित नहीं किये जाने से विभागीय कार्य प्रभावित हो रहे हैं