नई दिल्ली। बॉलीवुड स्टार इरफान खान का आज 54 साल की उम्र में निधन हो गया है। इरफान ने मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में बुधवार को आखिरी सांस ली। वह लंबे समय से कैंसर से जंग लड़ रहे थे। मंगलवार को अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें आईसीयू में भर्ती करवाया गया था।
इस गंभीर बीमारी के थे शिकार
इरफान न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर नामक एक दुर्लभ बीमारी का शिकार हो गए थे। ये ट्यूमर शरीर के विभिन्न हिस्सों को टारगेट करता है। इस बीमारी का इलाज कराने के लिए वह साल 2017 में विदेश भी गए थे।
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बता दें कि इस बीमारी की शुरुआत शरीर के किसी भी हिस्से में ट्यूमर बनने से होती है। जब तंदुरुस्त डीएनए की कोशिका क्षतिग्रस्त होती है तो ट्यूमर बनना शुरू होता है। ऐसे में कोशिका का आकार बढ़ने लगता है और वो अनियंत्रित हो जाती है। ट्यूमर कैंसर युक्त भी हो सकता है और नहीं भी। ट्यूमर धीरे-धीरे बढ़ने लगता है और शरीर के दूसरों हिस्सों को भी नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। अगर इसका इलाज शुरू में ही नहीं किया जाता है तो यह कैंसर का कारण बन जाता है। जो ट्यूमर कैंसरयुक्त नहीं होते हैं उन्हें बिना कोई नुकसान के निकाला जा सकता है।
न्यूरोइंडोक्राइन ट्यूमर क्या है? बॉलीवुड अभिनेता इरफान खान की जान इसी ट्यूमर से गई है। न्यूरोइंडोक्राइन ट्यूमर को एनईटी भी कहते हैं। यह कुछ खास कोशिकाओं में बनना शुरू होता है। इसमें हार्मोन पैदा करने वाली इंडोक्राइन कोशिका और नर्व कोशिका दोनों प्रभावित होती हैं। ये दोनों अहम कोशिकाएं होती हैं और शरीर की कई गतिविधियों को नियंत्रित करती हैं। न्यूरोइंडोक्राइन ट्यूमर को बनने के साथ ही कैंसरयुक्त माना जाता है।
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एनईटी यानी न्यूरोइंडोक्राइन के विकसित होने में सालों का वक्त लगता है। यह धीरे-धीरे बढ़ता है. हालांकि कुछ एनईटी की ग्रोथ बहुत तेज होती है। एनईटी बॉडी के किसी भी पार्ट में विकसित हो सकता है. फेफड़े में, पैंक्रियाज में या गैस्ट्रो में भी।
एंडोक्राइन ट्यूमर शरीर के हार्मोन पैदा करने वाले हिस्सों में ही होता है। न्यूरो एंडोक्राइन ग्लैंड बॉडी में हार्मोन रिलीज करने का काम करता है और जब ये जरूरत से ज्यादा रिलीज होने लगता है तो वो ट्यूमर बन सकता है। एनईटी के लिए फेफड़ा सबसे कॉमन निशाना होता है। 30 फीसदी एनईटी श्वसन सिस्टम में घर कर जाता है। इसी सिस्टम के जरिए फेफड़े को ऑक्सीजन मिलती है। लेकिन एनईटी के कारण फेफड़े में इन्फेक्शन बढ़ने लगता है।एनईटी शुरुआती स्टेज में पता नहीं चलता है क्योंकि इसके कोई साफ लक्षण नहीं दिखते।
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इस ट्यूमर को डॉ खतरनाक मानते हैं क्योंकि इसमें जान बचने की संभावना बहुत कम ही होती है। यह इस मामले में भी खतरनाक है क्योंकि इसके लक्षण पता नहीं चलते हैं। यह सामान्य रूप से किसी भी व्यक्ति में 60 की उम्र के बाद होता है लेकिन इरफान खान 50 साल की उम्र में ही चपेट में आ गए थे।