नई दिल्ली। जनता कर्फ्यू जिस 22 मार्च 2020 में पूरे देश में लागू किया गया था आज उसे एक साल पूरे हो गए हैं। यही वो दिन था जिसने पूरे देश की चाल रोक दी थी। जो उस समय जहां था, वो वहीं रूक गया था। रूकने का मतलब संपूर्ण लॉकडाउन।
इसके साथ ही लोगों को मास्क पहनने, शारीरिक दूरी का पालन करने, हाथ को साफ रखने जैसी तमाम गाइडलाइन पालन करने के निर्देश दिए गए थे। यह एक तरह से कोरोना के प्रसार को रोकने की कोशिश व इस घातक बीमारी के खिलाफ आधिकारिक जंग की शुरुआत थी। जनता कर्फ्यू के दौरान एक तरह का अजीब सन्नाटा था। न हॉर्न की आवाज और न ही कोई और हलचल। सिर्फ पक्षियों की आवाज सुनाई दे रही थी।
इसे भी पढ़ें: कोविड का खौफ करेगा होली के रंग को फीका?
उस समय कहा गया था कि यह लॉकडाउन का ट्रायल है। तब किसी को अंदाजा भी नहीं था कि लॉकडाउन कब खुलेगा। लोगों की आंखों के सामने इस भयानक वायरस की चपेट में आने से उनके अपनों की जान जा रही थी। क्या छोटा-क्या बड़ा, क्या जवान और क्या वृद्ध, कोरोना हर किसी को अपना शिकार बना रहा था। ऐसे में एकमात्र उपाय घरों में बंद रहना ही था। लोग लॉकडाउन के बीच इस घातक बीमारी की दवा का इंतजार करने लगे।
महीनों की पाबंदी के बाद अनलॉक हुआ और धीरे-धीरे भारत ने वैक्सीन भी विकसित कर ली। आज भारत के पास कोविड-19 के दो टीके हैं। वहीं, 16 जनवरी 2021 से पहले चरण के टीकाकरण अभियान की शुरुआत हुई और देखते ही देखते इस अभियान ने रफ्तार पकड़ ली। इसके कुछ ही समय बाद एक मार्च से दूसरे चरण के टीकाकरण अभियान के तहत भी लोगों को कोरोना वायरस टीके की खुराक दी जाने लगी।
इसे भी पढ़ें: तो क्या भारत में भी लगेगी कोविशील्ड पर रोक?
वैक्सीन विकसित किए जाने से लेकर पहले चरण के टीकाकरण अभियान के बीच कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के मामले कम होने लगे थे। यह सब तभी संभव हो पाया जब सभी देशवासियों ने मिलकर कोरोना के खिलाफ जारी जंग में एकजुटता दिखाई। खुद अनुशासित रहे और कोरोना गाइडलाइन का पूरी तरह से पालन किया।
हालांकि, अब एक बार फिर से कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में वृद्धि दर्ज की जा रही है। यह मामले आए दिन लगातार बढ़ रहे हैं, जो कि चिंता की बात है। उम्मीद थी कि वैक्सीन आने के बाद भारत से कोरोना छूमंतर हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पिछले साल मार्च में भारत में तब कोरोना ने दस्तक दी ही थी और 21 मार्च, 2020 तक 360 केस सामने आए थे। इनमें भी 41 मामले विदेशियों के थे। पिछले साल जनता कर्फ्यू लगने से पहले तक देश में सिर्फ 360 केस थे, जो आंकड़ा अब बढ़कर 1,16,46,081 पहुंच गया है। इसके अलावा एक्टिव केसों की बात करें तो अकेले महाराष्ट्र में ही आंकड़ा 2 लाख के पार है और देश भर में फिलहाल 3,34,646 लाख लोग कोरोना संक्रमित हैं।
इसे भी पढ़ें: क्या वैक्सीन लगवाने के बाद भी हो सकता है कोरोना?
महाराष्ट्र से लेकर पंजाब और कर्नाटक में कोरोना वायरस की दूसरी लहर देखने को मिल रही है। ऐसे में सवाल भी उठ रहे हैं कि आखिर कोरोना वायरस की वैक्सीन आने के बाद भी इसके मामलों में लगातार वृद्धि क्यों हो रही है? क्यों फिर से कोरोना पुराने रंग में दिख रहा है और दिन-प्रतिदिन ताकतवर हो रहा है? लेकिन यहां इस सवाल का जवाब भी हर किसी को मालूम है। कोरोना वायरस के मामलों में अचानक वृद्धि का प्रमुख कारण है लोगों की लापरवाही।
वायरस के दोबारा से ताकतवर होने की वजह
वैक्सीन आने के बाद लोग कोरोना के खिलाफ चल रही जंग को हल्के में लेने लगे। लोगों को यह गलतफहमी हो गई कि वैक्सीन आ गई है तो अब कोरोना वायरस से उन्हें कोई खतरा नहीं है। सरकार का भी कहना है कि लोगों की लापरवाही की वजह से कोरोना के मामलों में एक बार फिर से बढ़त होने लगी है। कोरोना वायरस के दोबारा से ताकतवर होने के पीछे कई वजह हैं। लोग अब कोरोना गाइडलाइन्स को फॉलो नहीं कर रहे हैं।
इसे भी पढ़ें: इन एशियाई देशों में टीके की देरी के पीछे क्या है कारण?
वैक्सीन आने से पहले जिस तरह से लोग मास्क का इस्तेमाल किया करते थे, हैंड सैनिटाइज किया करते और शारीरिक दूरी बनाकर रखते थे, अब वैसी गंभीरता नहीं दिख रही है। इसके अलावा लंबे समय तक जारी कोरोना पाबंदियों के बाद जब देश अनलॉक हुआ तो शादी-समारोह और अन्य आयोजनों की बाढ़ आ गई। शादी-समारोहों में लोग महामारी के पहले की तरह आने-जाने लगे। भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जो सावधानियां बरतनी चाहिए, उसे अनदेखा किया जा रहा है। इन सभी वजहों के चलते कोरोना को फिर से वार करने का मौका मिल गया।
इसे भी पढ़ें: बाइडेन सरकार ने बताई अमेरिका के लिए भारत की क्या है अहमियत
सावधानी ही सुरक्षा
लोगों को यह समझना जरूरी है कि ऐसे कई मामले आए हैं, जिसमें वैक्सीन लगने के बाद भी लोग संक्रमित हो जा रहे हैं। जिस तरह से महाराष्ट्र और कर्नाटक में कोरोना की दूसरी लहर देखने को मिल रही है, वह डराने वाला है। देश में कोरोना टीकाकरण की रफ्तार भी तेज है, लोगों को वैक्सीन लग भी रही है, फिर भी मामलों में तेजी जारी है। इसका मतलब है कि हमें यह मानकर चलना होगा कि हमारे चारों ओर कोरोना है और इससे बचकर ही हमें जिंदगी जीनी है। जब तक देश में टीकाकरण अभियान खत्म नहीं हो जाता, तब तक हमें कोरोना के खिलाफ जंग को मजबूती के साथ ही लड़ना है।