सूबे में अचानक से कुशवाहा राजनीति ने नई करवट लेनी शुरु कर दी है| प्रदेश के कद्दावार कुशवाहा नेता पाला बदलकर दूसरी पार्टियों का दामन थाम रहे हैं जाहिर है वो भी इसमें अपना राजनीतिक भविष्य देख रहे हैं| सम्राट चौधरी कभी जेडीयू के कद्दावर नेताओं में जाने जाते थे,सरकार में मंत्री पद भी संभाला लेकिन नीतीश कुमार से नहीं बनी| अंत में उन्होंने जेडीयू छोड़ी और जीतन राम मांझी की पार्टी हम में आ गए| हम में शामिल होने के बाद भी सम्राट चौधरी कभी मुखर नहीं दिखे| शायद पार्टी की तरफ से उन्हें आगे भी नहीं किया गया| अब सम्राट चौधरी ने अपने राजनीतिक करियर को देखते हुए हम को बाय-बाय करने का मन बना लिया है और बड़े ही ताम-झाम के साथ वो 11 जून को भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम रहे हैं| बीजेपी को भी लग रहा है कि चलो पार्टी में कोई तो कद्दावर कोइरी नेता आया| पिछले लोकसभा चुनाव में कोई मजबूत कुशवाहा नेता पार्टी में नहीं रहने के चलते बीजेपी को उपेंद्र कुशवाहा पर काफी हद तक निर्भर रहना पड़ा था| सम्राट चौधरी के पिता शकुनी चौधरी भी बिहार की राजनीति में अपनी अलग पहचान रखते हैं जाहिर है बीजेपी ने एक तीर से दो शिकार किया है| सम्राट चौधरी तो आ ही गए अब अंदरुनी लेवल पर उनके पिता शकुनी चौधरी का भी साथ बीजेपी को मिल सकता है|
उधर अपने ही सांसद अरुण कुमार की बगावत के बाद उपेंद्र कुशवाहा की रोलासपा को पार्टी के सांगठनिक स्तर पर भी कई चुनौतियां झेलनी पड़ रही हैं| 2014 के लोकसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा का सक्सेस रेट 100 प्रतिशत था| भाजपा ने कुशवाहा की पार्टी रालोसपा को तीन सीटें दीं, मोदी लहर में सभी जीत गए| पर 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में बुरी गत हुई| हालात ऐसे हैं कि उपेंद्र कुशवाहा को खुद को मजबूत करना है| सो, वे भी प्रतिद्वंदियों को भी साथ लाने के एजेंडे पर काम कर रहे हैं|
भगवान सिंह कुशवाहा पहले नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री थे| लेकिन, 2015 के चुनाव में जदयू-राजद के गठबंधन से सूरत ऐसी बनी कि वे विधानसभा के टिकट से वंचित हो गए. तभी मधेपुरा सांसद पप्पू यादव ने अपनी पार्टी जन अधिकार पार्टी (लो) बनाई थी| वे पप्पू की पार्टी में आ गए| चुनाव में स्टार प्रचारक रहे| चुनाव बाद पप्पू ने भगवान सिंह कुशवाहा को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया| अब भी हैं, लेकिन पिछले महीने से एक्टिव नहीं दिख रहे| बताया जा रहा है कि वे अब उपेंद्र कुशवाहा के संपर्क में आये हुए हैं| बातें फाइनल स्टेज में है| मिलन की तारीख का एलान कभी भी संभव है| भगवान सिंह कुशवाहा का प्रभाव विशेष रुप से शाहाबाद की पॉलिटिक्स में है|