सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते…
तृतीय रूप चन्द्रघंटा:
सुख, शान्ति एवम समृध्दि की मंगलमयी कामनाओं के साथ नवरात्र के महापर्व की शुरुआत हो चुकी है| नवरात्र को लेकर देश भर में लोगों में उत्साह है। इस महापर्व के तीसरेे दिन मां के तृतीय रूप चन्द्रघंटा की आराधना की जाती है। पुराणों के मुताबिक मां का स्वरुप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है।मां चन्द्रघंटा की मुद्रा सदैव युद्ध के लिए अभिमुख रहने से भक्तों के कष्ट का निवारण अतिशीघ्र होता है।इनका वाहन सिंह है,अतः इनका उपासक सिंह की तरह पराक्रमी और निर्भय हो जाता है।
पूजा की विधि :
नौ दिन चलने वाले इस पर्व में तीसरे दिन मां की पूजा चन्द्रघंटा के रुप में की जाती है। कथाओं के अनुसार, माँ दुर्गा के तृतीय रूप का नाम चन्द्रघंटा इसलिए पड़ा क्यूंकि इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचन्द्र रहता है| पुराणों के अनुसार माँ की सच्चे मन से आराधना हमेशा फलदायी होती है।
श्रद्धालुओं में उत्साह :
नवरात्र को लेकर राजधानी पटना समेत पूरे राज्य में लोगों के बीच गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है। शहर के तमाम पूजा पंडाल सज-धज के तैयार हो गए है। नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में मां दूर्गा के नौ रुपों की पूजा की जाती है। मां के भक्त नवरात्र के नौ दिनों तक उपवास रख कर मां की आराधना करते है। ऐसा माना जाता है नौ दिन तक मां के अलग-अलग रुपों की पूजा – अर्चना करने से माता की विशेष कृपा की प्राप्ति होती है।