भोजपुर जिले के नथमलपुर पंचायत से सड़क बनाने में गड़बड़ी का मामला सामने आया है। यहां वार्ड संख्या 4 में वार्ड सचिव के चयन और ईंट सोलिंग के काम में घोर अनियमितता पायी गयी है। इसकी पुष्टि खुद जांच करने वाले अधिकारी ने की है। जांचकर्ता के मुताबिक लोगों की शिकायत के बाद जांच के दौरान उनके द्वारा कुछ गड़बड़ियां पाई है। जिसका प्रतिवेदन DDC को दे दी गई है। हालांकि अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।
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दरअसल अनियमितता को लेकर स्थानीय लोगों द्वारा कुछ माह पहले हीं लिखित शिकायत की गई थी। कहा गया था कि वार्ड संख्या 4 में पंचायत सचिव के चयन में भारी फर्जीवाडा किया गया है। सचिव का चयन मानकों को ताक पर रखकर कुछ दबंगों द्वारा मनमाने ढंग से कर दिया गया है, ताकि विकास कार्यों में लूट की जा सके। शिकायत के बाद इसके जांच कि कमान खुद सदर एसडीओ आरा ने संभाली थी और क्षेत्र में जा कर हालात का जायजा लिया था। इस दौरान उन्होंने न सिर्फ उक्त मामले की जांच की थी, बल्कि वहां चल रहे एक निर्माण कार्य का भी जायजा लिया था। जांच के बाद उन्होंने उप विकास आयुक्त को जांच प्रतिवेदन समर्पित किया था। समर्पित जांच प्रतिवेदन में उन्होनें दोनों मामलों में स्पष्ट रूप से अनियमितता पाए जाने की बात भी कही है, लेकिन महीनों गुजर जाने के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। पंचायत सचिव जहां अनवरत अपने पद पर बने हुए हैं वहीं निर्माण कार्य भी लगातार जारी है।
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इस मामले पर जिले के DDC का कहना है कि जो जांच प्रतिवेदन उन्हें सौंपा गया है उस पर दूसरे पक्ष ने आपत्ति जताई है, लिहाजा उसके पक्ष को देखते हुए मामले की दोबारा जांच कराई जा रही है। अब सवाल ये उठाता है कि पहले जांच के दौरान विरोधी पक्ष कहाँ था जबकि उसे इस बात की जानकारी देते हुए अपना पक्ष रखने को भी कहा गया था।
इधर लंबा वक्त गुजर जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने पर स्थानीय लोग अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह खड़े रहे हैं। उनका मानना है कि सम्बंधित अधिकारी जान-बुझ कर मामले को अनदेखा कर रहे हैं ताकी इसकी लीपापोती की जा सके।
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बता दें अनियमितता से जुड़े इन दोनों मामलों का संबंध मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना से है। इस खास योजना की शुरुआत पंचायतों के विकास को ध्यान में रख कर किया गया है। इस योजना के तहत पंचायतों में होने वाले गली-नाली पक्कीकरण योजना का क्रियान्वयन वार्ड क्रियान्वयन समिति सह प्रबंध समिति द्वारा कराया जाता है।
सरकार के निर्देशानुसार मैट्रिक पास युवक हीं समिति के सचिव होते हैं। वहीं वार्ड सदस्य समिति के अध्यक्ष होते। यह समिति सात सदस्यीय होती जिसका काम योजनाओं के क्रियान्वयन से लेकर उसका देख रेख करना होता है। लेकिन यहाँ वार्ड सचिव के चयन प्रक्रिया पहले से हीं विवादों में है और अब अधिकारियों कि भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं।