नई दिल्ली। आपने हमेशा हिंदू-मुस्लिम की वॉर के बारे में सुना होगा, लेकिन आज हम आपको एकता की मिसाल के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसे सुनकर आपके चेहरे पर भी खुशी आ जाएगी।
हिंदू परिवार में पाली-पोसी गई एक मुस्लिम लड़की की शादी में दोनों मजहब का मित्रण देखने को मिला। शबनम की शादी में गणेश पूजा भी हुई और निकाह भी पढ़वाया गया।
किसी और के घर में पली शबनम
दरसअल जब शबनम 5 साल की थी तो उसकी मां का देहांत हो गया था। उसके पिता एक ट्रक ड्राइवर थे, उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वो किस तरह अपनी बेटी का लालन-पालन करें। इसलिए उन्होंने अपने मित्र से मदद मांगी, जिसके बाद उसके मित्र ने शबनम को अपनी बेटी बना लिया और उसे घर ले आए। 2012 में उसके पिता भी शहर से अचानक गायब हो गए और कभी लौटकर नहीं आए।
मां की मौत और पिता का लापता होना शबनम का सबकुछ ले गया। उसके पास अब सिर्फ जोरा का घर ही उसका ठिकाना था। जहां उसे किसी भी काम के लिए रोका-टोका नहीं जाता था। वो नियमित रूप से नमाज पढ़ती थी, और हिंदू त्यौहारों को भी उत्साह के साथ मनाती थी।
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शबनम जब 20 साल की हुई तो जोरा को उसके भविष्य की चिंता सताने लगी। उन्होंने कुछ स्थानीय मुस्लिम नेताओं से संपर्क किया और शबनम की शादी के लिए अब्बास नाम के एक मुस्लिम युवक को चुना। अब्बास जावन्त्री गांव का रहने वाला है और ऑटो रिक्शा चलाता है।
रविवार को जोरा ने शबनम का कन्यादान दिया। एक ऐसे शहर में जहां कुछ सालों से दोनों समुदायों के बीच संघर्ष आम बात हो चुकी हो, वहां शबनम की शादी ने गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश की है।