पटना। मुजफ्फरपुर शेलटर होम यौन शोषण मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को फटकार लगाई। उन्होंने कहा आखिर क्यों समय रहते नहीं की गई बाल गृहों की जांच।
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मामले की सुनवाई करने के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए कहा कि, इस केस में राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से किसी भी मामले में यौन शोषण के पीड़ितों की तस्वीरें प्रकाशित या प्रदर्शित नहीं करने को कहा है। सुनवाई को आगे बढ़ाते हुए कहा कि जिन भी बच्चियों के साथ यौन शोषण हुआ है उनका इंटरव्यू भी नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे उनके ऊपर गंभीर मानसिक प्रभाव पड़ते हैं।
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आपको बता दें कि, इस मामले में राजनीतिक रसूक वाले ब्रजेश ठाकुर के साथ-साथ 10 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। ब्रेजश ठाकुर की गैर सरकारी संस्था है जो कि कई बाल गृह चलाता है।
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यह अधिकारी हुए निलंबित
सहायक निदेशक भोजपुर आलोक रंजन, सहायक निदेशक भागलपुर गीतांजलि प्रसाद, सहायक देशक मधुबनी कुमार सत्यकाम, सहायक निदेशक अररिया घनश्याम रविदास, सहायक निदेशक मुंगेर सीमा कुमारी, बाल संरक्षण पदाधिकारी पटना नवलेश कुमार सिंह, तत्कालीन बाल संरक्षण पदाधिकारी मुंगेर रंजन कुमार, तत्कालीन बाल संरक्षण पदाधिकारी भागलपुर रंजन कुमार, बाल संरक्षण पदाधिकारी गया मीराजुद्दीन सदानी, तत्कालीन बाल संरक्षण पदाधिकारी मधुबनी संगीत कुमार ठाकुर, तत्कालीन बाल संरक्षण पदाधिकारी मोतिहारी विकास कुमार और अधीक्षक पयेर्क्षण गृह अररिया मोहम्मद फिरोज शामिल हैं।