नई दिल्ली। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हर साल पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन यशोदा-नन्द के लाल का जन्मदिन मनाया जाता है। कृष्ण जी का जन्म रोहिणी नक्षत्र में भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि को मध्य रात्रि वृष लग्न में हुआ था।
कृष्ण जन्माष्टमी मनाने को लेकर दिवस भ्रम पर विराम लगाते हुए बता दें कि, गोवर्धनधारी का जन्म रोहिणी नक्षत्र में भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि में वृष लग्न में हुआ था। इस बार यह संयोग 2 सितंबर रविवार को बन रहा है। इस दिन अष्टमी तिथि रात्रि 8 बजकर 46 मिनट से अगले दिन यानि सोमवार को शाम 7 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। रोहिणी नक्षत्र रविवार को रात्रि 8 बजकर 48 मिनट से सोमवार को 8 बजकर 4 मिनट तक रहेगा। इस बीच रविवार को वृष लग्न रात्रि 10 बजे से 11:57 तक रहेगी। इन तीनों के संयोग में ही कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
धनिए की पंजीरी का लगाएं भोग
भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के दौरान उन्हें धनिए की पंजीरी का भोग लगाएं। कारण, रात्रि में त्रितत्व वात पित्त और कफ में वात और कफ के दोषों से बचने के लिए धनिए की पंजीरी का प्रसाद बनाकर ही भगवान श्रीकृष्ण को चढ़ाएं। धनिए के सेवन से वृत संकल्प भी सुरक्षित रहता है।