नई दिल्ली। 2019 के आम चुनाव से पहले बिहार में एनडीए के घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग के फॉर्म्युले पर माथापच्ची जारी है। 40 लोकसभा सीटों के बंटवारे के लिए चार दलों बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी और आरएलएसपी में सटीक फॉर्म्युले पर मंथन हो रहा है। जिसके कारण वहां की राजनीति ओर गरमाती जा रही है।
इसे भी पढ़ें: बिहार के बेगूसराय से चुनावी मैदान में उतरेंगे कन्हैया, लालू ने दी मंजूरी
दरअसल, जुलाई 2017 में एनडीए में बिहार के सीएम नीतीश कुमार की अगुआई वाले जेडीयू की वापसी ने तीनों दलों को मजबूर कर दिया है।
इसे भी पढ़ें: आज ही निपटा लें बैंक का जरूरी काम, वरना 5 दिन हो सकती है यह परेशानी
इन सीटों पर टीकी है सबकी नजर
- दरभंगा- यह सीट कीर्ति आजाद की है। लेकिन अब बीजेपी इस सीट पर दोबारा विचार कर सकती है। बीजेपी के उम्मीदवार के तौर पर आजाद ने दरभंगा सीट से 1999, 2009, 2014 में चुनाव जीता था।
- पटना साहिब- इस सीट से बीजेपी के शत्रुघ्न सिन्हा सांसद हैं, जिनके संबंध फिलहाल पार्टी से अच्छे नहीं चल रहे हैं। ऐसे में 2019 के लोकसभा चुनावों को लेकर इस सीट पर बीजेपी नेतृत्व की नजर है।
- बेगूसराय- 2014 में बीजेपी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी। 82 वर्षीय भोला सिंह इस सीट से जीतकर लोकसभा पहुंचे। 2009 में एनडीए के सहयोगी के तौर पर जेडीयू ने यह सीट जीती थी।
- मधेपुरा- यादव फैक्टर्स के कारण इस सीट पर हर चुनाव में राजनीतिक रुचि ज्यादा रहती है। आरजेडी की तरफ से पप्पू यादव ने जेडीयू के दिग्गज नेता शरद यादव को हराया था। अब जेडीयू मधेपुरा में शरद के खिलाफ उपयुक्त उम्मीदवार उतार सकती है।
- जहानाबाद- यह ऐसी सीट है जिस पर आरएलएसपी ,जेडीयू और बीजेपी तीनों पार्टियों की नजर है। आरएलएसपी के अरुण कुमार ने 2014 में यह सीट जीती थी, लेकिन अब उन्होंने अपनी अलग पार्टी बना ली है।
- बांका- 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी बेहद कम अंतर से यह सीट हार गई थी। ऐसे में यह सीट बीजेपी और जेडीयू दोनों ही खेमों के लिए महत्वपूर्ण बन गई है।
इसे भी पढ़ें: ब्लू व्हेल चैलेंज के बाद अब मोमो चैलेंज ले रहा है लोगों की जान