नई दिल्ली। आज शिक्षक दिवस है। शिक्षक की दी हुई शिक्षा से ही बच्चे आगे चलकर कामयाब बनते हैं, ऐसे ही एक शिक्षक थे भारत के पूर्व राष्ट्रपति और शिक्षाविद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जिनके सम्मान में उनके जन्मदिवस यानी 5 सितंबर को देश में शिक्षक दिवस मनाया जाता है।
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डॉ. राधाकृष्णन महान शिक्षाविद थे। उनका कहना था कि शिक्षा का मतलब सिर्फ जानकारी देना ही नहीं है। जानकारी का अपना महत्व है लेकिन बौद्धिक झुकाव और लोकतांत्रिक भावना का भी महत्व है, क्योंकि इन भावनाओं के साथ छात्र उत्तरदायी नागरिक बनते हैं। डॉ. राधाकृष्णन मानते थे कि जब तक शिक्षक शिक्षा के प्रति समर्पित और प्रतिबद्ध नहीं होगा, तब तक शिक्षा को मिशन का रूप नहीं मिल पाएगा।
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राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुतनी ग्राम में हुआ था। इनके पिता सर्वपल्ली वीरास्वामी राजस्व विभाग में काम करते थे। इनकी मां का नाम सीतम्मा था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा लूनर्थ मिशनरी स्कूल, तिरुपति और वेल्लूर में हुई। इसके बाद उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़ाई की। राधाकृष्णन ने 12 साल की उम्र में ही बाइबिल और स्वामी विवेकानंद के दर्शन का अध्ययन कर लिया था। उन्होंने दर्शन शास्त्र से एम.ए. किया और 1916 में मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में सहायक अध्यापक के तौर पर उनकी नियुक्ति हुई। उन्होंने 40 वर्षो तक शिक्षक के रूप में काम किया।
वह 1931 से 1936 तक आंध्र विश्वविद्यालय के कुलपति रहे. इसके बाद 1936 से 1952 तक ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में प्राध्यापक के पद पर रहे और 1939 से 1948 तक वह काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर आसीन रहे। उन्होंने भारतीय संस्कृति का गहन अध्ययन किया।