नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में पवित्र अमरनाथ यात्रा आज से शुरू हो गई है। ये यात्रा 1 जुलाई से शुरू होकर 15 अगस्त तक चलेगी। यात्रा की सुरक्षा के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार ने कई पुख्ता इंतजाम किए हैं। पाकिस्तान के साथ सख्त रुख अपनाने और घाटी में आतंकियों के सफाये के लिए चल रहे ऑपरेशन ऑलआउट के मद्देनजर इस बार अमरनाथ यात्रा को लेकर सुरक्षा एजेंसियां अतिरिक्त सतर्कता बरत रही हैं। खासकर 2017 के हमे और इस साल फरवरी के पुलवामा हमले के बाद से अमरनाथ यात्रा पर मंडरा रहे खतरे का लेवल भी हाई हो गया है।
इस बार क्यों है बड़ी चुनौती?
14 फरवरी 2019 को हुए पुलवामा हमले के बाद से घाटी में आतंकवाद के खिलाफ केंद्र का सख्त स्टैंड जारी है। सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन ऑलआउट में इस साल अब तक 130 आतंकियों को ढेर किया है. कश्मीर में आने वाले महीनों में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। ऐसे में आतंकी किसी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैं। इसके मद्देनजर अमरनाथ यात्रा को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है।
हाल में 12 जून को हुए अनंतनाग हमले ने अमरनाथ यात्रा के लिए खतरे का अलर्ट और बढ़ा दिया है अमरनाथ यात्रा के रूट में पड़ने वाले अनंतनाग में 12 जून को आतंकी हमला हुआ था। इस हमले में सीआरपीएफ के 5 जवान शहीद हो गए। जबकि आतंकियों से लोहा लेते हुए अनंतनाग के पुलिस इंस्पेक्टर अरशद खान भी शहीद हो गए थे।
खुफिया अलर्ट ने बढ़ाई चिंता
खासकर बालटाल रूट से अमरनाथ यात्रा को आतंकी निशाना बना सकते हैं ऐसी खुफिया अलर्ट भी है। जम्मू रेलवे स्टेशन से लेकर पवित्र अमरनाथ यात्रा के पूरे रूट पर 40 हजार से ज्यादा जवानों को तैनात किया गया है ताकि आतंकी किसी हिंसक वारदात को अंजाम न दे सकें।
कब-कब अमरनाथ यात्रा को आतंकियों ने बनाया निशाना-
1980 के दशक के आखिर में कश्मीर में पाकिस्तान की शह पर आतंकवाद का उभार हुआ। आतंकियों ने साल 1993 में पहली बार अमरनाथ यात्रा को निशाना बनाया। लेकिन अमरनाथ यात्रा उस सबसे बड़ा हमला हुआ साल 2000 में। जिसमें 32 श्रद्धालुओं की जान गई। 2017 में श्रद्धालुओं की बस पर हुआ हमला सबसे ताजा हमला है। 1993 से अबतक 26 साल में अमरनाथ यात्रा पर 14 हमले हो चुके हैं जिनमें 68 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।