भारतीय समाज में आज भी बेटीयों को जन्म लेना परिवार के लिए किसी बोझ से कम नहीं समझा जाता है। आज के आधुनिक दौर में कई बेटियां दहेज की बली चढ़ जाती हैं। ऐसे में बिहार के भागलपुर ज़िले का धरहरा गाँव अनुठी मिसाल पेश कर रहा है। भागलपुर जिला मुख्यालय से करीब 33 किलोमीटर दूर स्थित धरहरा गांव में वर्षो पहले आंरभ की गई यह परंपरा आज भी अनवरत रुप से चली आ रही है।
ये वृक्ष इन ग्रामीणों को आर्थिक रूप से भी सबल बना रहे हैं। धरहरा गांव में बेटियों के पैदा होने पर लोग उत्सव मनाते हैं। साथ ही बेटियों के जन्म के मौके पर 10 फलदार वृक्ष लगाने का भी रिवाज है, और जब वे बड़ी होती हैं तो उनके विवाह के लिए इन पेड़ों का इस्तेमाल किया जाता हैं।
यह पंरपरा न सिर्फ गांव की समृद्धि बल्कि पर्यावरण के लिए वरदान भी साबित हो रही है। स्थानिय ग्रामीणों की माने तो बेटियों का विवाह करते समय कन्या का विवाह करने के लिए कर्ज लेने की नौबत नहीं आती। ये पेड़ ही सहारा देते हैं। धरहरा गाँव की अनूठी परम्परा के बारे में सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस गांव की तारीफ करते हुए कहा था की कि वह जिस किसी स्थान पर जायेंगे धरहरा का संदेश जरूर प्रसारित करेंगे।
इस गांव के द्वारा दिया गया संदेश जरुर ही देश के अन्य लोगों के लिए प्ररेणा का काम करेगी। ऐसे में जरुरत है सरकारी और सामाजिक पहल की ताकी इस तरह की अनूठी मिसाल को देश के कौने-कौने कौने तक पहुंचाया जा सके।