मोक्ष के रूप में गया का महत्व दुनियाभर में प्रचलित है।सनातन धर्म से जुड़े सभी लोगों के लिए अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए गया जाना और श्राद्ध करना एक प्रकार से जरुरी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि गया में पिंडदान व तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस बार गया में चल रहे पितृपक्ष मेले में रूस, स्पेन और जर्मनी से आये विदेशी सैलानी भी पूर्वजो की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान और तर्पण करेंगे। इन सभी 18 विदेशी सैलानियों का एक जत्था गया पहुंच चुका है।अगले तीन दिनों तक वे यहां रुक कर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके मोक्ष के लिए तर्पण एवं पिंडदान करेंगे।गया में फल्गु नदी के तट पर देश-विदेश समेत बिहार से बाहर के लोग भी अपने पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने पहुंच रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि गया में भगवान विष्णु पितृ देवता के रुप में निवास करते हैं। यहां अति प्राचीन विष्णुपद मंदिर स्थित है जिसमें भगवान विष्णु के पदचिन्ह आज भी मौजूद हैं।यह जगह भी सैलानियों के कौतूहल का केंद्र होता है।
पितृपक्ष मेला 20 सितंबर तक जारी रहेगा। इस बार के मेले में करीब 10 लाख श्रद्धालुओं के भाग लेने की संभावना है। जिला प्रशासन की ओर से पूरी चाक-चौबंद व्यवस्था की गई है।।