रोग निवारण के लिए करें मां के चौथे रूप कुष्माण्डा की आराधना….

by TrendingNews Desk

 

सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते…

चतुर्थ रूप कुष्माण्डा:

सुख, शान्ति एवम समृध्दि की मंगलमयी कामनाओं के साथ नवरात्र के महापर्व की शुरुआत हो चुकी है| नवरात्र को लेकर देश भर में लोगों में उत्साह है। इस महापर्व के चौथे दिन मां के चतुर्थ रूप कुष्माण्डा की आराधना की जाती है। पुराणों के मुताबिक मां कुष्माण्डा की उपासना से समस्त रोग-शोक विनष्ट हो जाते हैं।मां कुष्माण्डा अत्यल्प सेवा व भक्ति से
प्रसन्न होने वाली हैं।

 पूजा की विधि  :

नौ दिन चलने वाले इस पर्व के चौथे दिन मां की पूजा कुष्माण्डा के रुप में की जाती है। माँ दुर्गा के चतुर्थ रूप का नाम कुष्माण्डा है। अपनी मन्द मुस्कान द्वारा ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कुष्माण्डा देवी के नाम से अभिहित किया गया है।अतः यहीं सृष्टि की आदि स्वरूपा और आदि शक्ति हैं।

श्रद्धालुओं में उत्साह :

नवरात्र को लेकर राजधानी पटना समेत पूरे राज्य में लोगों के बीच गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है। शहर के तमाम पूजा पंडाल सज-धज के तैयार हो गए है। नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में मां दूर्गा के नौ रुपों की पूजा की जाती है। मां के भक्त नवरात्र के नौ दिनों तक उपवास रख कर मां की आराधना करते है। ऐसा माना जाता है नौ दिन तक मां के अलग-अलग रुपों की पूजा – अर्चना करने से माता की विशेष कृपा की प्राप्ति होती है।