क्या आपको पता है, योग की शिक्षा देने वाला विश्व का पहला विश्वविद्यालय कहा खुला था? तो आइये हम आपको बताते हैं। ज्ञान की भूमि बिहार के मुंगेर में इसकी स्थापना की गयी थी। सदियों से विश्व में योग की समृद्ध परंपरा और विरासत आगे बढ़ाने में अहम योगदान दिया है मुंगेर स्थित ‘बिहार स्कूल ऑफ़ योग’ ने। बिहार स्कूल ऑफ योग की स्थापना स्वामी सत्यानंद ने सन् 1964 में मुंगेर के गंगा नदी के तट पर की थी।
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ऐसे पड़ी थी नींव-
स्वामी सत्यानंद के गुरु स्वामी शिवानंद वर्ष 1937 में ऋषिकेश से मुंगेर आए थे। उन्होंने जगह-जगह संकीर्तन के जरिए योग का संदेश दिया। इसके बाद उनके शिष्य सत्यानंद सरस्वती को मुंगेर में ही यह दिव्य संदेश प्राप्त हुआ कि योग भविष्य की संस्कृति है। इसके तहत वर्ष 1964 में स्वामी शिवानंद के महासमाधि ले लेने के बाद स्वामी सत्यानंद ने मुंगेर में गंगा दर्शन आश्रम की नींव रखी और यहीं वह योग को आगे बढ़ाने में जुट गए। स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने योग सिखाने के लिए 300 से
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ज्यादा पुस्तकें लिखीं, जिसमें योग के सिद्धांत कम और प्रयोग ज्यादा हैं। वर्ष 2010 में सत्यानंद स्वामी के निधन के बाद इस स्कूल की जिम्मेदारी स्वामी निरंजनानंद के कंधों पर आ गई।
ऐसे दी जाती है शिक्षा-
आश्रम में प्रतिदिन सुबह चार बजे उठकर व्यक्तिगत साधना करनी पड़ती है। इसके बाद निर्धारित नियमित कार्यक्रम के अनुसार कक्षाएं शुरू होती हैं। शाम 6:30 बजे कीर्तन के बाद 7:30 बजे अपने कमरे में व्यक्तिगत साधना का समय निर्धारित है।
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रात आठ बजे आवासीय परिसर बंद हो जाता है। यहां खास-खास दिन महामृत्युंजय मंत्र, शिव महिमा स्त्रोत, सौंदर्य लहरी, सुंदरकांड व हनुमान चालीसा का पाठ करने का भी नियम है। बसंत पंचमी (सरस्वती पूजा) के दिन हर साल स्कूल का स्थापना दिवस मनाया जाता है। इसके अलावा गुरु पूर्णिमा, नवरात्र, शिव जन्मोत्सव व स्वामी सत्यानंद संन्यास दिवस पर भी विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं