बरसों से ही बिहार की धरती ऐसे ही महान शख्यिसतों की कर्मभूमि रही है जिन्होंने अपनी साहस, लगन और सफलता के दम पर ना सिर्फ प्रसिद्धी हासिल की है बल्कि दुनिया को सौहार्द और प्रेम का अनमोल पाठ भी पढ़ाया।biharmedia.com बिहार के ऐसे ‘नायकों’ को नमन् करता है। अपनी इस कड़ी में हमारा प्रयास है कि हम आपको यहां की मिट्टी में पैदा हुए कुछ ऐसे नायकों से रुबरु कराएं जिनकी योगदान जरूरतमंदो के लिए एक बहुमूल्य वरदान है।
इंसान चाहे अमीर हो या गरीब हो, चाहे बड़ा हो या छोटा हो, बच्चा हो या बुढा हो, किसी न किसी वक्त पर उसे सहारे की जरूरत पड़ती ही है। किसी जरूरतमंद की मदद करने के बाद जो सुकून मिलता है वैसा सुकून शायद ही कोई और काम करने के बाद मिले।
ऐसी ही किसी जरूरतमंद की मदद कर बिहार के पटना की बेटी खुशबू जिस सुकून का एहसास करती है ऐसा सुकून उसे शायद ही कही और मिले।
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खुशबू को मदद करने की प्रेरणा मिलने की कहानी बड़ी ही दिलचस्प है। दरअसल इसकी शुरुआत एक ब्यूटी पार्लर से हुई। पटना के एक ब्यूटी पार्लर में उनका आना जाना हमेशा लगा रहता था। एक दिन अचानक खुशबू की नज़र इसी पार्लर में मौजूद 9 साल की बच्ची शैली पर पड़ी। शैली की आंखें सामान्य से बहुत बड़ी थी। वो बिल्कुल ‘एलियन’ जैसी दिख रही थी ये सब देखकर उनसे रहा नहीं गया और उन्होंने इसके बारे में पूछ लिया। उधर से जवाब मिला कि यह बचपन से ऐसी ही है। उसके पिता गार्ड का काम करते हैं। घर की स्थिति उतनी अच्छी नहीं है कि वो अपनी बेटी शैली का इलाज करा सकें। खुशबू ने सरकारी अस्पताल में शैली को दिखाया तो डॉक्टर्स की समझ में बीमारी ही नहीं आई | बाद में एक डॉक्टर ने बताया कि इसे ‘करोजन सिंड्रोम’ (Crouzon Syndrome) है, इसमें आंखों के सॉकेट छोटे होने के कारण आंखें बाहर निकल जाती हैं और भारत में इसका इलाज सिर्फ़ डॉक्टर कृष्णाराव करते हैं तथा इसके इलाज में तक़रीबन 30 लाख रुपए खर्च आता है। ये सब सुनते ही खुशबू का दिल बैठ गया क्यूंकि वो चाहकर भी इतने रुपयों का इन्तजाम नहीं कर सकती थी।
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एक दिन अचानक खुशबू के दिमाग में आया कि क्यूँ न अभिनेता सलमान खान की संस्था ‘बीइंग ह्यूमन’ से संपर्क किया जाए। खुशबू ने बीइंग ह्यूमन को शैली की फोटो के साथ एक मेल किया। अगले दिन ही मैसेज आया कि वो तैयार हैं। फिर खुशबू शैली को लेकर बंगलुरू पहुँच गई उसके बाद डॉक्टर कृष्णाराव ने शैली का इलाज किया। इस इलाज का सारा खर्च यानी क़रीब 30 लाख से ज्यादा रूपये सलमान खान व उनकी कंपनी ‘बीइंग ह्यूमन’ ने दिए। ऑपरेशन के बाद शैली अच्छे से देख पाती है।
एक छोटी सी मदद से 30 साल की खुशबू सिन्हा आज पूरे देश में ‘करोजन सिंड्रोम’ (Crouzon Syndrome) से पीड़ित बच्चों के लिए ‘मसीहा’ बन गई | एक मोटर मोबाईल कम्पनी में नौकरी करने वाली खुशबू अब नौकरी छोड़ चुकी हैं। अब वो अपनी ज़िन्दगी सिर्फ़ देश भर में रहस्यमय बीमारी ‘करोजन सिंड्रोम’ (Crouzon Syndrome) से जूझ रहे बच्चों को बीमारी से निजात दिलाने पर खर्च कर रही हैं। उनके प्रयासों से आज कई बच्चों की ज़िन्दगी बच चुकी है। खुशबू बताती हैं कि ये सब करके उन्हें काफी सुकून की अनुभूति होती है, इसके साथ ही और बेहतर करने की प्रेरणा भी मिलती है।