नई दिल्ली। लाल बहादुर शास्त्री हमारे देश के दूसरे प्रधानमंत्री आज है उनका जन्मदिन। आज देश उनकी 116वीं जयंती बना रहा है। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ। एक गरीब परिवार से निकलकर उन्होंने लोगों को एक सीख दी की अगर इंसान के अंदर आत्मविश्वास हो तो कोई भी मंजिल आपके लिए मुश्किल नहीं रहेगी। उनकी इस सीख ने लोगों को जीवन का एक नया सार सिखाया। शास्त्री जी एक कुशल नेतृत्व वाले गांधीवादी नेता थे।
इस तरह बने लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री
स्वतंत्र भारत के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद लोगों के जह्न में सवाल उठा कि, अब कौन संभालेगा देश का तख्त? हर कोई इसी सवाल को पूछ रहा था, जिसका जवाब उन्हें जल्द मिला और लाल बहादुर शास्त्री को देश का दूसरा प्रधानमंत्री बनाया गया। जिस समय वो प्रधानमंत्री बने उस समय देश कई संकटों से उबार रहा था। जैसे अन्न की कमी, भुखमरी… जिसको लेकर हर कोई चिंतित था। देश खाद्यान्न की कमी से जूझ रहा था। अमेरिका ने भी भारत को खाद्यान्न के निर्यात रोकने की धमकी दे दी थी।
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देश के लोगों से लाल बहादुर शास्त्री ने अपील किया कि वो हफ्ते में एक दिन एक वक्त व्रत रखें। यही नहीं उन्होंने देशवासियों के सामने मिसाल पेश करते हुए कहा कि उनके परिवार में, “कल से एक हफ्ते तक शाम को चूल्हा नहीं जलेगा।” उनकी इस घोषणा का ऐसा असर हुआ कि उसके बाद कुछ दिनों तक अधिकतर रेस्तरां और होटलों तक में भी इसका पालन हुआ।
वो एक ऐसे व्यक्तित्व वाले इंसान थे, जिन्होंने किसानों को एक अलग राह दिखाई। उनके हक के लिए आवाज उठाई। जिसको आज भी मान्यता दी जाती है, और किसानों को अन्नदाता कहा जाता है। जिनके उगाए हुए अनाज से हम अपनी भूख मिटाते हैं।