मोहम्मद इब्राहिम की निगाहें बिहारशरीफ सदर अस्पताल में अपनों को तलाश रही हैं| लेकिन ढूंढती निगाहें अपनों को पहचान पाने में असमर्थ हैं| कारण है कि लाशें इतनी विभत्स तरीके से जली हुई हैं कि उन्हें पहचानना मुश्किल है| मोहम्मद इब्राहिम के परिवार के दो सदस्य इस मनहूस बस में सवार थे और शेखपुरा जा रहे थे| सरकारी शिथिलता का आलम ये है कि इतने बड़े हादसे के बाद भी मरने वालों की कोई औपचारिक सूची प्रकाशित नहीं की गई है| लोग खबर जानने के बाद बदहवास अस्पताल पहुंच रहे हैं लेकिन वहां पहुंचते ही एक तरह से उनकी खोज खत्म हो जाती है| हालांकि बस हादसे में सरकार की तरफ से केवल 8 लोगों की ही मौत की पुष्टि की गई है, जबकि गैर सरकारी आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं| इन आठ लोगों में से एक महिला और दो छोट-छोटे बच्चों की पहचान हो गई है लेकिन बाद के लोगों को पहचानना मुश्किल है| भीषण अग्निकांड की शिकार हुई इस बस के अंदर मरने वाले लोगों का महज कंकाल ही बचा हुआ है| अब शवों की पहचान का एकमात्र रास्ता बचा है डीएनए टेस्ट का| बिहारशरीफ सदर अस्पताल में डीएनए टेस्ट की सुविधा मौजूद नहीं है तो ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि हादसे में मारे गए लोगों के परिजन आखिर जाएं तो जाएं कहां!