हौंसला बुलंद हो तो कोई भी परेशानी आसान हो जाती है बस जरुरत है जज्बे की| पटना के रहने वाले हरिशंकर गले के कैंसर से पीडि़त हैं लेकिन उन्होंने कभी इसे अपने उपर हावी नहीं होने दिया| हरिशंकर के हौसले के आगे जिद्दी कैंसर ने भी घुटने टेक दिए| करीब सोलह साल से गले के कैंसर से पीड़ित हरिशंकर की दिनचर्या आज सामान्य है और वो बिल्कुस स्वस्थ हैं|
जिले के सिसवन प्रखंड के एक छोटे से गांव हुसेना बंगरा निवासी पचास साल के हरिशंकर को साल 2000 में जनवितरण प्रणाली का लाइसेंस मिला था। वे अपना परिवार ठीक-ठाक चहा रहे थे कि अचानक गले के कैंसर ने उनको चपेट में ले लिया।
औसत पारिवारिक पृष्ठभूमि तथा सीमित आय के बावजूद हरिशंकर ने हिम्मत नहीं हारी तथा पीएमसीएच से लेकर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली में इलाज कराया। उस समय डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें लंबे इलाज की जरूरत है।
हरिशंकर तनिक भी विचलित नहीं हुए। अपना इलाज जारी रखा। इस कार्य में उनके मित्र ने खूब मदद की। अब हरिशंकर के हौसले से कैंसर हार गया है। सामान्य जीवन जी रहे हैं।
10 राउंड कीमोथेरेपी
जब 2001 में हरिशंकर के गले में दर्द की शिकायत हुई, तब वे सिवान तथा पीएमसीएच के डॉक्टरों से सलाह ली। आराम नहीं मिलने पर गोरखपुर के डॉक्टरों ने उन्हें गले में कैंसर होने की बात बताई। साहसी हरिशंकर ने एम्स का रुख किया। अब तक 10 बार इनकी कीमोथेरेपी की जा चुकी है।