नई दिल्ली। छठ पूजा का महापर्व बुधवार को सुबह अर्ध्य के बाद संपन्न हो गया। पर्व को लेकर पूरे बिहार में भक्ति व उत्साह चरम पर रहा। छठ को लेकर नदियों व तालाबों के घाट सजे-धजे रहे तो श्रद्धालुओं के आवागमन के लिए सड़कें भी साफ-सुथरी दिखीं।
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यह पर्व बिहार ही नहीं, देश-विदेश में उन सभी जगहों पर भी मनाया गया, जहां बिहार की संस्कृति पहुंची है। महापर्व के अंतिम दिन सुबह के अर्घ्य के लिए घाटों पर जन-सैलाब उमड़ता दिखा। इसके पहले मंगलवार को छठ के सायंकालीन अर्घ्य के दारान भी ऐसा ही नजारा था।
मंगलवार को सांघ्यकालीन अर्घ्य के बाद व्रती व श्रद्धालु घर लौट गए। हालांकि, बड़ी संख्या में व्रती छठ घाटों पर भी रुक गए। वे प्रात:कालीन अर्घ्य देने के बाद सुबह में वापस लौटे। पटना की बात करें तो सायंकाल प्रथम अर्घ्य का समय 4.30 बजे से 5.20 मिनट के बीच था। बुधवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने का समय प्रात: 6.32 से 7.15 बजे तक का था।
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सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
पूरे राज्य में घाटों पर बैरिकेडिंग कर सुरक्षा की व्यवस्था की गई। छठ के दौरान खगड़िया के मुजौना शिव मंदिर पोखर घाट पर एक किशोर निर्दोष कुमार की डूबने से मौत हो गई। बुधवार को भी बेगूसराय में एक युवक की गंडक नदी में डूबकर तो दूसरे की छठ का डाला लेकर जाते समय करंट लगने से मौत हो गई। हालांकि, पुलिस व एनडीआरएफ-एसडीआरएफ की सतर्कता के कारण कई दुर्घटनाएं नहीं हुईं।
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