नई दिल्ली। कोरोना-कोरोना और बस कोरोना। इस कोरोना ने लोगों के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। किसी के पास खाने की कमी है तो कोई इलाज के लिए इधर-उधर भटक रहा है। क्योंकि जिस तरह से इसके मामले बढ़ते जा रहे हैं, उसके कारण जिन लोगों को इमरजेंसी की जरूरत है उन्हें वो पूरी तरह से नहीं मिल पा रही हैं। इसको देखकर लोग आज भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे हैं। ना ही घर पर रह रहे हैं। जिसके कारण दिक्कतें दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। इतनी की अब लॉकडाउन को और बढ़ाने का फैसला भी लिया जा सकता है। फिलहाल अभी इस बढ़ाया नहीं गया है, लेकिन अगर हालात ऐसे ही रहे हो इसे बढ़ाने पर विचार जरूर करना पड़ेगा।
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दरअसल प्रधानमंत्री को अहसास है कि 21 दिनों के लॉकडाउन से उत्पादन लगभग ठप है, कृषि कार्य में बाधा आ रही है, मजदूर बेरोजगार हैं। अगर आर्थिक गतिविधियां तुरंत शुरू नहीं की गईं तो एक बड़े तबके के सामने भुखमरी की समस्या आ सकती है जो न सिर्फ कोरोना से लड़ाई को कमजोर करेगी बल्कि एक नया सामाजिक संकट पैदा कर सकती है। ऐसे में बीच का कोई रास्ता निकालना जरूरी हो गया है।
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बहरहाल लॉकडाउन के इस दूसरे दौर में जहां हमें सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह पालन करना होगा, वहीं समाज के विभिन्न वर्गों की आवश्यकताएं भी पूरी करनी होंगी। इंटरनैशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक कोरोना वायरस के संकट के कारण भारत के असंगठित क्षेत्र के 40 करोड़ श्रमिकों के पूरी तरह निर्धन और वंचित होने का खतरा पैदा हो गया है। मार्च के अंतिम हफ्ते में किए गए एक सर्वे के अनुसार दूसरे राज्यों में फंसे रह गए लाखों मजदूरों में 80 प्रतिशत से ज्यादा मजदूरों के पास लॉकडाउन (14 अप्रैल तक) से पहले ही पूरी तरह राशन खत्म हो जाएगा। इसलिए कई विशेषज्ञ मानते हैं कि सरकार को अपने भंडारों से उन्हें तत्काल अनाज उपलब्ध कराना चाहिए। इसके अलावा उन्हें तेल, नमक,चीनी और साबुन भी उपलब्ध कराए जाने चाहिए। यह भी देखना होगा कि सरकारी योजनाओं का लाभ सभी जरूरतमंदों तक पहुंच रहा है या नहीं। इसी तरह मजदूरों की आवाजाही रुकी होने की वजह से गेहूं की फसल की कटाई नहीं हो पा रही है।
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लॉकडाउन के वर्तमान दौर में पुलिस के दुराग्रह के कारण आवश्यक चीजों की सप्लाई प्रभावित हुई। पुलिस की अत्यधिक चेकिंग से परेशान होकर कई ट्रांसपोर्ट वालों ने काम बंद कर दिया। अभी सिर्फ 10 फीसदी ट्रक सप्लाई का काम कर रहे हैं। कोशिश यह होनी चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा ट्रक निकलें और अनिवार्य वस्तुओं की आपूर्ति बढ़े। इसके साथ ही हमें टेस्टिंग को बढ़ाना होगा। अभी देश में रोज करीब 17,000 टेस्ट हो पा रहे हैं,जिसे एक लाख करने का लक्ष्य है। यह लक्ष्य जल्द हासिल करने की कोशिश होनी चाहिए। लॉकडाउन के इस दौर में अस्पतालों को और ज्यादा क्षमतासंपन्न बनाना होगा।