संयुक्त राष्ट्र की कॉन्फ्रेंस द्वारा मिली जानकारी के अनुसार, कोरोना वायरस से प्रभावित दुनिया की 15 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत भी है। चीन में उत्पादन में आई कमी का असर भारत से व्यापार पर भी पड़ा है और इससे भारत की अर्थव्यवस्था को क़रीब 34.8 करोड़ डॉलर तक का नुक़सान उठाना पड़ सकता है।
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यूरोप के आर्थिक सहयोग और विकास संगठन यानी ओईसीडी ने भी 2020-21 में भारत की अर्थव्यवस्था के विकास की गति का पूर्वानुमान 1.1 प्रतिशत घटा दिया है। ओईसीडी ने पहले अनुमान लगाया था कि भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर 6.2 प्रतिशत रहेगी लेकिन अब उसने इसे कम करके 5.1 प्रतिशत कर दिया है।
भारत सरकार, देश की जनता को ये भरोसा दिला रही है कि उन्हें घबराने की कोई ज़रूरत नहीं। हालांकि, विपक्षी दलों ने कोरोना वायरस के भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव के बारे में सरकार से सवाल पूछने शुरू कर दिए हैं।
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तेलुगू देशम पार्टी (TDP) के सांसद जयादेव गल्ला ने इस बारे में अपनी चिंता लोकसभा में जताई थी। गल्ला ने कहा था, ”हमें ये बात समझनी होगी कि कोरोना वायरस से हमारे देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा।”
किन सेक्टरों पर सबसे ज़्यादा असर पड़ा?
दवा कंपनियां
ये केवल फार्मा कंपनियों की आमदनी का मामला नहीं है. किसी भी बुरे प्रभाव की एक मानवीय क़ीमत भी होती है। मेडिकल स्टोर में दवाओं की कमी हो रही है। तमाम बड़े शहरों में केमिस्ट, सैनिटाइज़र और मास्क के ऑर्डर तो दे रहे हैं लेकिन उन्हें एक हफ़्ते से माल की डिलिवरी नहीं मिल पा रही है।
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अब जब बहुत से भारतीय अपने यहां दवाएं, सैनिटाइज़र और मास्क जमा कर रहे हैं, तो ये सामान अधिकतम खुदरा मूल्य से भी अधिक दाम पर बिक रहे हैं।