नई दिल्ली। चुनाव प्रचार खत्म हो चुके हैं। सभी पार्टियों और उम्मीदवारों ने पुराने काम और भविष्य के सपने जनता को दिखा दिए हैं। इस दौरान विधानसभा की 70 सीटों में से ज्यादातर सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय है। आइए जानते हैं नॉर्थ वेस्ट, ईस्ट दिल्ली, वेस्ट दिल्ली, साउथ दिल्ली की सभी सीटों के बारे में।
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नॉर्थ वेस्ट: हर सीट पर अलग हैं जीत का समीकरण
मुंडका: कांग्रेस से नरेश कुमार, आप से धर्मपाल लाकड़ा और बीजेपी से मास्टर आजाद मैदान उतरे हैं। यहां जातिगत समीकरण की भूमिका भी अहम नजर आ रही है। इस सीट से साल 2015 में आप से जीते सुखवीर सिंह दलाल का टिकट काटकर धर्मपाल लाकड़ा को उम्मीदवार बनाया है। बीजेपी ने फिर से मास्टर आजाद को प्रत्याशी बनाया है।
रोहिणी: कांग्रेस ने सुमेश गुप्ता और आप ने राजेशनामा बंशीवाला को अपना उम्मीदवार बनाया। बीजेपी से मौजूदा विधायक विजेंद्र गुप्ता दूसरी बार चुनावी मैदान में हैं। विपक्षी दल दम लगाकर उन्हें घेर रहे हैं। नाहरपुर, राजापुर, राजा विहार इस विधानसभा में है। तीनों ही पार्टियों के उम्मीदवार अपनी पूरी ताकत लगाकर चुनाव जीतने की कोशिश में हैं।
नरेला: आप से प्रत्याशी शरद चौहान, कांग्रेस से सिद्धार्थ कुंडू और बीजेपी से नीलदमन खत्री मैदान में हैं। आम आदमी पार्टी ने शरद को दूसरी बार मैदान में उतारा है। पिछले चुनाव में शरद चौहान ने करीब 41 हजार वोट से नीलदमन को हराया था। इस बार आप और बीजेपी में सीधा मुकाबला माना जा रहा है। हालांकि कांग्रेस के उम्मीदवार भी पूरा जोर लगा रहे हैं।
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रिठाला: आप से मोहिंदर गोयल, बीजेपी से मनीष चौधरी, कांग्रेस से प्रदीप कुमार पांडेय मैदान में हैं। पिछले चुनाव में मोहिंदर जीते थे। पार्टी ने फिर से मोहिंदर पर भरोसा जताया है। हालांकि बीजेपी-कांग्रेस ने इस बार प्रत्याशी बदल दिए हैं। आप और बीजेपी में कांटे की टक्कर मानी जा रही है। कांग्रेस भी मुकाबला कर रही है।
नॉर्थ-वेस्ट में जातीय समीकरण और पूर्वांचली वोटर्स का पड़ेगा प्रभाव
बवाना: इस आरक्षित सीट में ग्रामीण वोटरों का दबदबा अधिक है। बीजेपी ने अपने युवा चेहरे रविंद्र कुमार को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने यहां पूर्व विधायक सुरेंद्र को उतारा है। वहीं, बीएसपी छोड़ आम आदमी पार्टी में आए निगम पार्षद जय भगवान उपकार को आप का टिकट मिला है। आम आदमी पार्टी जॉइन करने वाले गूगल सिंह एक बार फिर बीजेपी में आ चुके हैं।
मंगोलपुरी: मंगोलपुरी की सीट भी आरक्षित है। यहां दो गांव और सबसे अधिक क्लस्टर कॉलोनियों का इलाका है। इस सीट पर दिल्ली सरकार में पूर्व डिप्टी स्पीकर रह चुकी राखी बिरला आम आदमी पार्टी का नेतृत्व कर रही हैं। वहीं, लोकसभा का चुनाव लड़ चुके राजेश लिलोठिया कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। 2013 के बाद से इस सीट पर आम आदमी का कब्जा है। बीजेपी ने यहां से करम सिंह कर्मा को टिकट दिया है। लिलोठिया पटेल नगर से पूर्व विधायक रह चुके हैं। तो वहीं, राखी बिरला के पास 5 साल का एक्सपीरियंस है। वहीं, करम सिंह कर्मा को यहां समाजसेवी के तौर पर भी देखा जाता है।
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नांगलोई जाट: आप से रघुविंद्र शौकीन, बीजेपी से सुमन लता और कांग्रेस से मनदीप सिंह इस सीट से आमने-सामने हैं। पिछले चुनाव में आप के रघुविंद्र शौकीन ने बीजेपी के मनोज कुमार शौकिन को हराया था। पांच साल में किए कामों को आधार मानकर रघुविंदर लोगों से वोट मांग रहे हैं। कांग्रेस जनता को पुराने दिनों की याद दिलाकर समर्थन मांग रही है। बीजेपी केंद्र और राज्य में एक सरकार बनाने को लेकर वोटर्स से अपील कर रहे हैं।
ईस्ट दिल्ली: यमुना पार में चुनावी घमासान
विकासपुरी: इस बार भी यहां पर त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा है। दो बार के विजेता आप के उम्मीदवार महेंद्र यादव की इलाके में पकड़ उनका मजबूत पक्ष है, लेकिन बीजेपी ने यहां से पूर्वांचल चेहरे संजय सिंह को उम्मीदवार बनाकर बाजी पटलने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस ने अपने अनुभवी नेता मुकेश शर्मा पर दांव खेला है। यहां इस बार भी पूर्वांचल वोटर यहां निर्णायक भूमिका में हो सकते हैं।
तिलक नगर: इस सीट से आप के नेता जरनैल सिंह का दावा मजबूत दिख रहा है। सिख और पंजाबी बहुल इस इलाके में बीजेपी ने राजीब बब्बर को उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस के टिकट से गुरुद्वारा कमिटी के मेंबर रमिंदर सिंह स्वीटा मैदान में है। यहां भी कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। आप का बीजेपी और कांग्रेस से कौन कड़ी टक्कर मिल रही है। इस सीट पर बीजेपी के कई स्टार प्रचारक उतरे हैं। यहां दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है।
पटपड़गंज: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया तीसरी बार इस सीट से चुनाव मैदान में हैं। इलाके में बड़ी संख्या में पहाड़ी मतदाताओं को देखते हुए बीजेपी ने रवि नेगी को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने भी इसी समीकरण को ध्यान में रखते हुए दो बार कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रहे लक्ष्मण रावत पर दांव लगाया है। नेगी और रावत दोनों का यह पहला चुनाव है। हालांकि, यहां गांव और शहरी आबादी के चलते अलग-अलग वर्गों के वोट साधकर ही जीत का रास्ता निकलता है।
नजफगढ़: इस सीट से आप के प्रत्याशी कैलाश गहलौत को बीजेपी के अजीत खरखरी कड़ी टक्कर दे रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनावों में इस सीट पर जीत का अंतर काफी कम था। कांग्रेस प्रत्याशी साहिब सिंह के आने से मुकाबला और कड़ा हो गया है। इस सीट पर कभी किसी प्रत्याशी ने दोबारा जीत हासिल नहीं की है। ग्रामीण बाहुल्य इलाका होने की वजह से यहां चुनावी माहौल पूरी तरह बना हुआ है।
राजौरी गार्डन: 1977 में बनी यह सीट कभी कांग्रेस का गढ़ थी। कांग्रेस लगातार पांच बार जीती थी। इस बार आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी ए धनवंती चंदीला को बीजेपी के रमेश खन्ना कड़ी टक्कर दे रहे हैं। वहीं कांग्रेस के अमनदीप सिंह सूदन भी कांग्रेस को वापसी करवाने के लिए पूरा दमखम लगाए हुए हैं। यहां सिख कम्युनिटी ज्यादा हैं। अभी यहां आप के विधायक जरनैल सिंह हैं, जिन्हें इस बार आप ने तिलक नगर से टिकट दिया है, इसलिए मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है।