बिहार में सरकारी कर्मचारियों की बाबुओं वाली मानसिकता खत्म होने का नाम नहीं ले रही है|सरकारी बाबू ये भी भूल जाते हैं कि वो किस जगह और किस पद पर बैठे हैं| ताजा मामला रोहतास जिले के नोखा का है जहां एक मासूम का इलाज करने की बात को लेकर अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी इतना नाराज हो गए कि उन्होंने मरीज के परिजनों के साथ बदसलूकी की|जानकारी के मुताबिक जिले के नोखा के प्रेमनगर इलाके के सरकारी अस्पताल में नागेंद्र पांडे अपने तीन साल के पोते आयुष्मान का इलाज कराने पहुंचे|आयुष्मान को लिवर में संक्रमण और बुखार की शिकायत है| वहां मौजूद डॉक्टर ने उन्हें पहले जाकर पर्ची कटाने को कहा|यहां तक तो बात सही थी लेकिन घंटों खड़े रहने के बाद पर्ची काटने वाला काउंटर पर नहीं आया| इस बीच कंधे पर सवार उस मासूम की तबीयत खराब होने लगी साथ ही बुजुर्ग का धैर्य भी जवाब देने लगा|बस इसकी शिकायत जब उन्होंने वहां मौजूद प्रभारी चिकित्सक से की और बच्चे का इलाज करने को कहा तो डॉक्टर साहब नाराज हो गए| और वो इतने नाराज हो गए कि उन्होंने पहले तो बुजुर्ग को भला बुरा कहा फिर बाद में उनके साथ बदसलूकी की|