नई दिल्ली। भारत में लगातार टीकाकरण का कार्य प्रगति पर चल रहा है , जिसके बाद जनवरी से लगभग 14 लाख टीकाकरण लोगों को लग गए हैं। हालांकि, अन्य देशों में टीका कार्यक्रम अभी तक शुरू भी नहीं हुए हैं, या कह लीजिए की अभी शुरूआती दौर में है। जिसके कारण हमें इस स्थिति के विभिन्न पहलूओं पर खास ध्यान जरूर देना चाहिए।
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इन चीजों से आज भी डरते हैं लोग
फिलीपींस में, कई लोग ऐसे हैं जो डेंगवाक्सिया को याद करके आज भी डरते हैं इसके पीछे का मुख्य कारण है- 2016 में फैले डेंगू बुखार का टीकाकरण जिसके खिलाफ खड़े हुए सब। उसके पीछे मुख्य कारण था, टीके का साइड इफेक्ट्स एक रिपोर्ट के मुताबिक इसके कारण कई बच्चों की मौत का मामला भी सामने आया था , जिसको लेकर काफी बड़ा बवाल खड़ा हो गया था। इस पर देशे में बड़े पैमाने पर विवाद हुआ। सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इस घटना के कारण टीके का संदेह का एक बड़ा कारण बना, जो देश को इस बीमारी से मुक्त कराने के लिए तैयार किया गया।
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पोलियो टीकाकरण
देश के लोगों ने पोलियो टीकाकरण की गिरती दरों में लंबे समय तक अपना योगदान दिया। भले ही उन्हें सोशल मीडिया से हटा दिया गया हो, लेकिन लाखों लोग अभी भी उन्हें पहचानते हैं। फॉलआउट ने कोविड के खिलाफ आबादी के टीकाकरण की योजना को भी प्रभावित किया है। एक रिपोर्ट में एक डॉक्टर के हवाले से कहा गया कि टीकाकरण अभियान पहले दिन, लगभग 400 स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों को लगना था लेकिन डाटा में कुछ और दिखाया गया। अन्य एशियाई देशों में, जहां टीके कार्यक्रम ना के बराबर हो रहे हैं। वहीं अधिकारियों और विशेषज्ञों का कहना है कि इसके कारण संकट और ज्यादा गहरा हो सकता है। इन राष्ट्रों में से कई महामारी को नियंत्रित करने में सक्षम हैं, लेकिन आखिर ऐसी क्या वजह है कि, टीकाकरण अभियान इतनी धीमी गति से आगे बढ़ रहा है।
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कुछ लोग क्यों नहीं लगवाना चाहते टीका?
इस तरह के आवश्यक अभियान के लिए जनता का विश्वास हासिल करना काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि जनता इतनी जल्दी किसी भी चीज पर विश्ववास करने के लिए कभी हां नहीं बोलने वाली। इसके पीछे एक ही वजह है वो है कोरोना महामारी जिसने जनता को काफी डराया है। इसी के कारण आज के समय में लोग वैक्सीन लेने के बारे में भी दस बार सोच रहे हैं। जिसके कारण फाइजर की तरह और टीकों को मंजूरी मिलने में काफी देरी हो रही है। जिसके कारण टीकाकरण में काफी देरी हो रही है।
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देश के लोगों ने पोलियो टीकाकरण की गिरती दरों में लंबे समय तक अपना योगदान दिया। भले ही उन्हें सोशल मीडिया से हटा दिया गया हो, लेकिन लाखों लोग अभी भी उन्हें पहचानते हैं। फॉलआउट ने कोविड के खिलाफ आबादी के टीकाकरण की योजना को भी प्रभावित किया है। एक रिपोर्ट में एक डॉक्टर के हवाले से कहा गया कि टीकाकरण अभियान पहले दिन, लगभग 400 स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों को लगना था लेकिन डाटा में कुछ और दिखाया गया। अन्य एशियाई देशों में, जहां टीके कार्यक्रम ना के बराबर हो रहे हैं। वहीं अधिकारियों और विशेषज्ञों का कहना है कि इसके कारण संकट और ज्यादा गहरा हो सकता है। इन राष्ट्रों में से कई महामारी को नियंत्रित करने में सक्षम हैं, लेकिन आखिर ऐसी क्या वजह है कि, टीकाकरण अभियान इतनी धीमी गति से आगे बढ़ रहा है।