सच में दोस्ती होती ही ऐसी है| सामने वाला बेशक उससे झूठ बोले लेकिन जब दोस्ती का भरोसा किसी पर कायम हो जाता है तो फिर उसका टूटना बेहद मुश्किल हो जाता है| मामला बेगूसराय का है जहां की रहने वाली एक लड़की दिल्ली जाती है और फिर उसे पड़ोस की ही हमउम्र एक लड़की से गाढ़ी दोस्ती हो जाती है| कुछ दिनों बाद बेगूसराय की वो लड़की लौटकर अपने घर आ जाती है लेकिन गहरी दोस्ती का ये सिलसिला फोन पर भी चालू रहता है| दिन-रात इस दोस्त से दिल्ली में रहने वाली लड़की की बातें होती रहती है| एक दिन बेगूसराय की लड़की ये बताती है कि उसकी शादी ठीक हो गई है और उसे शादी में आने का निमंत्रण भी देती है| लेकिन यहीं से कहानी मोड़ लेती है, दिल्ली की लड़की बेगूसराय आने का वादा करती है लेकिन वो लड़की के घर का पता लेना भूल जाती है| बेगूसराय की रहने वाली लड़की उससे वादा करती है कि वो उसे घर ले जाने के लिए स्टेशन पर खड़ी मिलेगी| लेकिन झूठ की कोई सीमा नहीं होती|
तय समय के अनुसार दिल्ली वाली लड़की बरौनी पहुंच जाती है लेकिन स्टेशन पर उस लड़की का कोई पता नहीं चलता| हार कर वो उसे ढूंढने निकल पड़ती है लेकिन इतने बड़े शहर में बिना पते के कैसे किसी का ठिकाना मिलेगा| आखिरकार वही हुआ जिसका डर था लड़की ढूंढती रही लेकिन आखिरकार वो हार गई| उसे परेशान देखकर किसी ने पुलिस को फोन कर दिया|
फिलहाल लड़की बेगूसराय पुलिस के पास है और बेगूसराय पुलिस दिल्ली पुलिस का इंतजार कर रही है| बेगूसराय पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और जल्दी ही सच्चाई का पता लगाने का दावा कर रही है|