नई दिल्ली। ‘जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहुं लोक उजागर‘, जब भी हम बजरंग बली का नाम लेते हैं तो इस चालीस को हमेशा पढ़ते हैं। इससे सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। कहा जाता है कि, अगर आपको डर लगे तो आप हनुमान जी की चालीसा का पाठ कर सकते हैं, इससे आपका डर दूर हो जाता है।
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चालीसा में अलग अलग लाइन का अलग अलग महत्व होता हैं और उनका विशेष समस्याओं में विशेष प्रयोग होता है। तुलसीदास जी द्वारा लिखी हुयी हनुमान चालीसा सर्वाधिक शक्तिशाली और लोकप्रिय मानी जाती है।
हनुमान चालीसा की प्रयोग विधि-
हनुमान जी और उनके इष्ट श्री राम के चित्र की स्थापना करें। इसके बाद उनके समक्ष जल से भरा पत्र रखें। कम से कम ३ बार से लेकर १०८ बार तक चालीसा का पाठ करें। पाठ के उपरांत उस जल को प्रसाद की तरह ग्रहण करें। प्रयास करें कि चालीसा पाठ का समय रोज एक ही हो। विशेष दशाओं में यात्रा तथा सोते समय भी चालीसा का पाठ कर सकते हैं।
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किस समस्या के लिए हनुमान चालीसा की कौन सी पंक्ति का पाठ करें ?
विद्या बुद्धि और एकाग्रता बढ़ाने के लिए
“बुद्धिहीन तनु जानिके,सुमिरौ पवनकुमार | बल बुधि विद्या देहि मोहि,हरहु कलेस विकार|”
– स्वास्थ्य की बाधाओं से बचने के लिए
“लाय संजीवन लखन जियाय, श्री रघुवीर हरसी उर लाय”
रिश्तों और संबंधों की मजबूती के लिए-
“रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई,तुम मम प्रिय भरतहिं सम भाई”
दुर्घटनाओं , क्रोध और स्वास्थ्य की समस्याओं से बचने के लिए-
“नासै रोग हरे सब पीरा,जपत निरंतर हनुमत वीरा”
जीवन में सही रास्ते पर चलने के लिए तथा कुसंगति से बचने के लिए-
“महावीर विक्रम बजरंगी , कुमति निवार सुमति के संगी”
जब सारे रास्ते बंद हो जायें और समस्या काफी गंभीर हो जाय-
“दुर्गम काज जगत के जेते,सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते”
भय तथा मानसिक अवसाद से बचने के लिए-
“भूत पिसाच निकट नहीं आवें , महावीर जब नाम सुनावें”
पंक्ति जाप के नियम
– चालीसा में से किसी भी एक पंक्ति का चुनाव अपनी आवश्यकता के अनुसार करें और
– नित्य प्रातः तुलसी की माला पर , मंत्र की तरह तीन से लेकर ग्यारह माला तक जाप करें.
– जितने समय तक यह प्रयोग किया जाय , खान पान और आचरण की शुद्धता पर ध्यान दिया जाय.
– बिना श्रीराम की पूजा के हनुमान जी की पूजा न करें