नगारिकता संशोधन विधेयक 2019 के बारे में यहां पढ़ें

by Mahima Bhatnagar
CAB

नई दिल्ली। देश में मचे बवाल के बाद बुधवार को नगारिकता संशोधन विधेयक 2019 राज्यसभा में पारित कर दिया गया। यह बिल लोकसभा में पहले ही पारित कर दिया गया था, जबकि राज्यसभा में इस बिल के पक्ष में 125 जबकि विपक्ष में 99 वोट पड़े। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को राज्यसभा में बिल पेश किया गया। जिस पर करीब 6 घंटे की बहस के बाद अमित शाह ने सदन में विधेयक से संबंधित जवाब दिए।

विपक्ष इस विधेयक का लगातार विरोध कर रहा है और संविधान विरोधी बता रहा है। इस विधेयक के खिलाफ असम सहित पूर्वोत्तर के कई राज्यों में प्रदर्शन हो रहा है। बुधवार को विधेयक को स्थायी समिति में भेजने का प्रस्ताव खारिज हो गया। समिति के पास इसे नहीं भेजने के पक्ष में 124 वोट और विरोध में 99 वोट पड़े। शिवसेना ने सदन से वॉकआउट किया और वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया।

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इस बिल में क्या खास है, किस पर विपक्ष कर रहा है विरोध और इसके लागू होने के बाद क्या होंगे बदलाव

1. नागरिकता संशोधन बिल क्या है?

नागरिकता अधिनियम विधेयक जिसे संसद में पारित किया गया वो 1955 में बदलाव करेगा। इसके तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान समेत आस-पास के देशों से भारत में आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी धर्म वाले लोगों को नागरिकता दी जाएगी।

2. कैसे भारत में नागरिकता मिलने में होगी आसानी?

citizen amendment bill

इस बिल के कानून में तब्दील होने के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान जैसे देशों से जो गैर-मुस्लिम शरणार्थी भारत आएंगे, उन्हें यहां की नागरिकता मिलना आसान हो जाएगा। इसके लिए उन्हें भारत में कम से कम 6 साल बिताने होंगे। पहले नागरिकता देने का पैमाना 11 साल से अधिक था।

3. बिल पर किस बात का विरोध हो रहा है?

इस बिल को लेकर विपक्ष ने हंगामा करना शुरू कर दिया है और मोदी सरकार पर सवाल करने भी शुरू क दिए हैं। विपक्ष का मुख्य विरोध धर्म को लेकर है। नए संशोधन बिल में मुस्लिमों को छोड़कर अन्य धर्मों के लोगों को आसानी से नागरिकता देने का फैसला किया गया है। विपक्ष इसी बात को उठा रहा है और मोदी सरकार के इस फैसले को धर्म के आधार पर बांटने वाला बता रहा है।

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4. एनडीए में ही हुआ बिल का विरोध?

मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी मुश्किल ये रही कि इस बिल का विरोध उसके घटक दल एनडीए में ही हुआ। पूर्वोत्तर में भारतीय जनता पार्टी की साथी असम गण परिषद ने इस बिल का खुले तौर पर विरोध किया और कहा था कि इस बिल को लाने से पहले सहयोगियों से बात नहीं हुई, जबकि बात करने का वादा किया गया था। असम गण परिषद असम सरकार में बीजेपी के साथ रही।

5. पूर्वोत्तर में क्यों हमलावर हैं लोग?

अभी कुछ समय पहले ही नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन को लेकर असम समेत पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में भारी विरोध हुआ था। NRC के तुरंत बाद अब नागरिकता संशोधन बिल (CAB) लाया गया, जिसका विरोध हो रहा है। नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन की अगुवाई में पूर्वोत्तर के कई छात्र संगठनों ने इस बिल का विरोध किया।

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6. क्या बीजेपी को होगा राजनीतिक लाभ?

असम, बंगाल जैसे राज्यों में शरणार्थियों का मुद्दा काफी हावी रहा। असम में विधानसभा चुनाव या देश में लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने NRC के मसले को जोर-शोर से उठाया था, जिसका उन्हें फायदा भी मिला था। अब जब पश्चिम बंगाल में चुनाव आने वाले हैं तो उससे पहले एक बार फिर CAB बिल पर भाजपा आक्रामक हो गई। ऐसे में इस बिल को लेकर राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे।

7. लोकसभा में हुआ था पास लेकिन

इस बिल को सबसे पहले 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था, जिसके बाद इसे संसदीय कमेटी के हवाले कर दिया गया। इस साल की शुरुआत में ये बिल लोकसभा में पास हो गया था लेकिन राज्यसभा में अटक गया था। हालांकि, लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने के साथ ही बिल भी खत्म हो गया। लेकिन इस बार मोदी सरकार इसे लोकसभा और राज्यसभा दोनों से पास कराने में कामयाब रही।

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