नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर मार्च ने ना जाने किस प्रदर्शन का रूप ले लिया। ऐसा प्रदर्शन जिसने देश की राजधानी दिल्ली के कई इलाकों को हिंसक झड़प का रूप दे दिया। जिसके कारण गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर को हिंसक बना दिया। जहां एक तरफ 26 जनवरी के दिन सविंधान की बातें की जा रही थी, वहीं किसान अपने हक की लड़ाई को एक अलग ही रूप दे रहे थे। माहौल देखते ही देखते कितना बदला इसका अंदाजा ना आपको ना ही हमको था।
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इतने बदले हालात
किसान मार्च देखते ही देखते हिंसक झड़प में बदल गया। जिसके कारण दिल्ली के कई इलाको में पत्थरबाजी, हिंसक झड़प शुरू हो गई। एक तरफ किसान तो दूसरी ओर दिल्ली पुलिस। दिल्ली पुलिस जहां उन्हें रोकने की कोशिश कर रही थी, वहीं किसान रूकने का नाम नहीं ले रहे थे। मामला इतना बढ़ा की किसानों ने लाल किले को घेर लिया, और लाल किले की प्राचीर पर जाकर अपना झंड़ा फहरा दिया।
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दंगाईयों पर लिया गया एक्शन
हिंसक झड़प के बाद अब दंगाईयों पर एक्शन लेना शुरू कर दिया है। जिसके बाद अब तक 22 केस दर्ज किए जा चुके हैं। जिसमें कई किसान नेताओं का जिक्र भी किया गया है। अब दिल्ली पुलिस इस साजिश के पीछे छिपे लोगों का पता लगाएगी। लालकिले, नांगलोई, मुकरबा चौक. सेंट्रल दिल्ली इन सारी जगाहों की सीसीटीवी फुटेज निकालकर स्पेशल सेल उन लोगों का पता लगाएगी जो इसमें सबसे ज्यादा हिंसक थे।
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पुलिसकर्मी हुए घायल
इस हिंसा में अब तक जो जानकारी मिल रही है, उसके मुताबिक 300 पुलिसकर्मी घायल बताए जा रहे हैं, जिनका इलाज चल रहा है। साथ ही आपको बता दें कि, दिल्ली के कई इलाके आज भी बंद है, जिसके कारण दिल्ली का ट्रैफिक डाइवर्ट कर दिया गया है। जिन-जिन बॉर्डर से किसानों ने आना शुरू किया था, उनपर भी मिलिट्री की तैनाती कर दी गई है। ताकि कल जैसे हालात दिल्ली में दोबारा ना बन पाए।
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किसान आंदोलन इतना हिंसक रूप ले लेगा ये किसी ने नहीं सोचा था, लेकिन कल जिस तरह से ये हुआ वो बहुत निंदनीय है। खासकर लाल किले पर झड़ा फहराना, उसने हर किसी के जहन में गुस्सा और आक्रोश पैदा कर दिया। हर किसी ने इस वाक्य की निंदा की है।