नई दिल्ली। एक तरफ जहां देश में कोरोना के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है तो दूसरी तरफ उतनी ही तेजी से कोरोना के खिलाफ भारत में टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। टीकाकरण के इस अभियान में और मजबूती लाने के लिए भारत में एक और वैक्सीन Sputnik-V को मंजूरी दे दी गई है। देसी वैक्सीन Covaxin और सीरम इंस्टिट्यूट द्वारा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च पर तैयार की गई Covishield के बाद देश में मंजूरी पाने वाली यह तीसरी वैक्सीन हो गई है।
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इस वैक्सीन को रूसी डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (RIDF) की मदद से गामेलिया नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने तैयार किया है। ऐसे में आइए जानते हैं कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ने में Sputnik-V कैसे काम करती है और कितनी असरदार है।
कैसे काम करती है Sputnik-V
Sputnik-V का काम शरीर में पहले से मौजूद एडेनोवायरस को नष्ट करना है। एडेनोवायरस आम सर्दी जुखाम का कारण होता है। ये इतने कमजोर होते हैं कि लोगों के शरीर को खास नुकसान नहीं पहुंचाते। हालांकि यह बदल भी सकते हैं, ऐसे में वैक्सीन कोरोना वायरस स्पाइक प्रोटीन बनाने के लिए कोड डिलीवर करती है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि जब असल वायरस शरीर को संक्रमित करने की कोशिश करे, तो यह एंटीबॉडी के रूप में इम्यून रेस्पॉन्स को माउंट कर सकता है।
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कितनी असरदार है वैक्सीन
वैक्सीन बनाने वाली कंपनी का दावा है कि वायरस के खिलाफ ये वैक्सीन 92 फीसदी असरदार है। जानकारी के मुताबिक, कंपनी ने बताया है कि क्लीनिकल ट्रायल डेटा के 3 फाइनल कंट्रोल पॉइन्ट एनालिसिस होने के बाद इस बात का पता चला। अभी देश में भारत बायोटेक की Covaxin और सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की Covishield वैक्सीन लगाई जा रही है। तीसरे चरण के ट्रायल में दोनों की एफेकेसी क्रमश: 81 फीसदी और 62 फीसदी दर्ज की गई थी। हालांकि बाद में डोज के मुताबिक एफिशिएंसी बढ़ गई।
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Sputnik V की कीमत भारत में क्या होगी, इसको लेकर अभी बहुत कुछ स्पष्ट नहीं है। हालांकि विदेशों में इस टीके की कीमत 10 डॉलर प्रति डोज से कम है। चूंकि RDIF का शुरुआती प्लान इसे रूस से आयात करने का है। ऐसे में इसकी कीमत थोड़ी ज्यादा हो सकती है. एक बार भारत में इस वैक्सीन का उत्पादन शुरू हो जाए तो यह कीमतें काफी हद तक कम हो जाएंगी।