नई दिल्ली। भारत में एक तरफ कोरोना महामारी लगातार तेजी से अपने पैर पसार रही है, वहीं दूसरी ओर देश की अर्थव्यवस्था भी हिलती जा रही है। जिसके कारण ना जाने कितने लोग इसकी मार झेल रहे हैं।
अक्तूबर के नतीजों पर नजर डाले तो ये साफ है कि, धीरे-धीरे ही सही लेकिन विकास दर में वृद्धि देखी जा रही है।
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वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट
वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, अक्तूबर में वस्तु एंव सेवा कर या जीएसटी कलेक्शन 1.05 लाख करोड़ रुपये था, जो पिछले साल इसी महीने के मुकाबले में 10 प्रतिशत अधिक था और पिछले महीने की तुलना में 10,000 करोड़ रुपये ज्यादा।
हालांकि लॉकडाउन से अनलॉक-5 तक यानि चालू वित्त वर्ष की अप्रैल- अक्तूबर अवधि में जीएसटी का कलेक्शन 5.59 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 20 प्रतिशत कम था। लेकिन जीएसटी कलेक्शन ऐसा अकेला क्षेत्र नहीं है, जिसमें उछाल आया है। अक्तूबर में भारत की बिजली खपत 13.38 प्रतिशत बढ़कर 110.94 अरब यूनिट हो गई, जो मुख्य रूप से औघोगिक और वाणिज्यिक गतिविधियों में उछाल के कारण हुई।
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वित्तीय वर्ष 2020-21
मौजूदा वित्तीय वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 7.5 फ़ीसद की गिरावट दर्ज की गई है और तकनीकी रूप से यह मंदी की पुष्टि करता है।
जीडीपी के आंकड़े आने से पहले तमाम एजेंसियों ने पाँच से दस फ़ीसद की गिरावट का अनुमान लगाया था। पिछली तिमाही में जीडीपी में लगभग 24 फ़ीसद की भारी गिरावट दर्ज की गई थी। पूरी तरह से लॉकडाउन के बाद जीडीपी का यह आंकड़ा आया था।
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मौजूदा तिमाही में उद्योग क्षेत्र में 2.1, खनन क्षेत्र में 9.1 और विनिर्माण के क्षेत्र में 8.6 फ़ीसद की गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि कृषि क्षेत्र और मैन्युफ़ैक्चरिंग के क्षेत्र में मामूली वृद्धि दर्ज की गई है। कृषि क्षेत्र में जहाँ 3.4 फ़ीसद की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है तो वहीं मैन्युफ़ैक्चरिंग क्षेत्र में 0.6 फ़ीसद का इज़ाफ़ा हुआ है।
रिज़र्ब बैंक के गर्वनर ने 26 नवंबर को एक आयोजन के दौरान कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था उम्मीद से बेहतर तरीक़े से वापस पटरी पर आ रही है लेकिन यह देखे जाने की ज़रूरत है कि यह रिकवरी टिकी रहे।
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भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यम ने जीडीपी में हुई गिरावट को लेकर कहा है कि मौजूदा आर्थिक हालात कोविड-19 के असर की वजह से है।