100 से ज्यादा बच्चों की मौत, दो अस्पताल, दो सरकारें- पढ़ें कब क्या हुआ

by Mahima Bhatnagar

नई दिल्ली। देश के दो बड़े राज्य एक राजस्थान और दूसरा उत्तर प्रदेश। राजस्थान का कोटा और उत्तर प्रदेश का गोरखपुर। कोटा का जेके लोन अस्पताल और उत्तर प्रदेश का बीआरडी मेडिकल कॉलेज। दोनों ही सरकारी अस्पताल। इन अस्पताओं में आकर बच्चों का इलाज कराना अपने काल को खुद बुलाने जैसा हो गया। किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि जिन बच्चों का इलाज कराने के लिए वहां लाया जा रहा है वो वापिस कभी नहीं जा पाएंगे। बीआरडी मेडिकल कॉलेज ने अगस्त 2017 तो जेके लोन अस्पताल ने दिसंबर- जनवरी 2019-20 में चंद दिनों में कई बच्चों की जिंदगी छीन ली।

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कोटा के अस्पताल में 48 घंटे के भीतर 10 बच्चों की मौत

23-24 दिसंबर को राजस्थान के कोटा में 48 घंटे के भीतर करीब 10 बच्चों की मौत हुई। ये सिलसिला यही नहीं थमा वहां पर नवजात की मौत हर दिन हो रही है। इन दिनों में एक के बाद एक करीब 100 से ज्यादा बच्चों की मौत की खबर सामने आई है। आपको बता दें कि, करीब 2 साल पहले गोरखपुर के अस्पताल से भी 5 दिनों में 60 बच्चों की मौत की खबर सामने आई थी। जिसने एक बार फिर लोगों के जहन में खौफ पैदा कर दिया।

बच्चों की मौत पर राजनीति

 

एकतरफ जहां बच्चों की मौत थमने का नाम नहीं ले रही, वहीं इस पर राजनीति कर रहे नेता भी नहीं रूक रहे। जब गोरखपुर में 2 साल पहले ये मामला हुआ था तब कांग्रेस ने बीजेपी को घेरा था, अब बीजेपी सरकार कांग्रेस की जमकर आलोचना कर रही है, साथ ही मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांग रही है।

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गोरखपुरः 5 दिनों में 64 मौतें

कोटा से इतर गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज की बात करें तो 2017 के अगस्त महीने में महज 5 दिनों में 64 नैनिहालों की मौत हो गई थी. 5 दिनों में एक के बाद 60 से ज्यादा बच्चों की मौत के बाद 12 अगस्त को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस प्रकरण पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा था कि ऑक्सीजन की कमी से मौत का मामला जघन्य है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

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मुख्यमंत्री योगी की ओर से तब दिए गए आंकड़ों के अनुसार 7 अगस्त से लेकर 11 अगस्त 2017 तक कुल 64 बच्चों की मौत हुई. 7 अगस्त को 9, 8 अगस्त को 12, 9 अगस्त को 9, 10 अगस्त को 23 और 11 अगस्त को 11 बच्चों की मौत हुई थी। हालांकि इसके बाद 12 अगस्त को 7 और 13 अगस्त को 6 बच्चों की मौत हुई थी। गोरखपुर से इस सबसे बड़े अस्पताल में चंद दिनों में 75 से ज्यादा बच्चे मारे गए।

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ऑक्सीजन की सप्लाई ठप होने से हुई मौत!

इस प्रकरण पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुई बच्चों की मौत अस्पताल के अंदर चल रही राजनीति की वजह से हुई, न कि ऑक्सीजन की कमी से. 23 अगस्त 2017 को मुख्य सचिव की जांच रिपोर्ट में भी ऑक्सीजन संकट का जिक्र नहीं था।

हालांकि शुरुआत में मौत की वजह सामने आई कि 69 लाख रुपये का भुगतान नहीं होने की वजह से ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली फर्म ने ऑक्सीजन की सप्लाई ठप कर दी जिसकी कमी से बच्चों की मौत होने लगी।

सवाल ये उठता है कि नवजात बच्चों की मौत का आंकड़ा क्यों हर साल बढ़ता जाता है, क्यों उन माता-पिता को अपना बच्चा खोना पड़ता है जिसको उन्होंने बड़े नाजों से पाला होता है। इन मामलों को सुनकर अब तो अस्पतालों में जाने से डर लगने लगा है।