महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजित पवार को उपमुख्यंत्री पद का शपथ ग्रहण करने के बाद सूबे की सियासत गरमारई हुई थी। लेकिन अब मसला कुछ और है, दरअसल, सीएम देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने अपने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। हैरानी शपथ लेने के समय पर भी हुई थी।
अब इस्तीफे को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं
2 दिन की सरकार बनाकर आखिर बीजेपी ने क्या उखाड़ लिया।
मिठाई मुंह तक लगी लेकिन गले से नीचे नहीं उतरी।
जो शेर अबतक दहाड़ रहा था अब वो भिगी बिल्ली बना हुआ है।
लोग बीजेपी की अब खिल्ली उड़ा रहे हैं, सबका कहना है कि, बीजेपी को इतनी जल्दी में किसी भी फैसले पर नहीं पहुंचना चाहिए था। अब यही फैसला उनके लिए जी का जंजाल बनकर रह गया है। लेकिन हैरान होने की बात नहीं है ये पहली बार नहीं है जब किसी की सरकार इतने कम समय में गिरी हो, इससे पहले भी कई लोग कम समय के सीएम पद से हटे हैं।
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बता दें कि कर्नाटक के वर्तमान मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को पिछले साल (2018) मई में फ्लोर टेस्ट का सामना करना पड़ा था। फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित न करने की वजह से वो महज तीन दिन ही कर्नाटक के सीएम रह पाए थे। येदियुरप्पा के अलावा देश में कई ऐसे मुख्यमंत्री रहें जिनका कार्यकाल सबसे छोटा था।
इस लिस्ट में जगदंबिका पाल का नाम सबसे ऊपर आता है, जो महज 24 घंटे के लिए मुख्यमंत्री बने थे। 1998 में कल्याण सिंह सरकार की बर्खास्तगी के बाद पाल को 21 फरवरी की देर रात को मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ दिलायी गई थी। लेकिन अगली ही सुबह इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया और उन्हें एक दिन का मुख्यमंत्री कहा जाने लगा।
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ऐसे में आइए जानते हैं कि किन मुख्यमंत्रियों का कार्यकाल सबसे छोटा था…
मुख्यमंत्री का नाम | साल | समय (कितने दिन तक रहे मुख्यमंत्री) | राज्य |
जगदंबिका पाल | 1998 | 24 घंटे (1 दिन तक) | उत्तर प्रदेश |
बीएस येदियुरप्पा (बीजेपी) | 2018 | 3 दिन | कर्नाटक |
बीएस येदियुरप्पा (बीजेपी) | 2007 | 8 दिन | कर्नाटक |
सतीश प्रसाद सिंह | 1968 | 5 दिन | बिहार |
शिबू सोरेन (झामुमो) | 2005 | 9 दिन | झारखंड |
बी पी मंडल | 1968 | 31 दिन | बिहार |
ओम प्रकाश चौटाला | 1990 | 5 दिन | हरियाणा |
ओम प्रकाश चौटाला | 1991 | 4 दिन | हरियाणा |
एस सी मराक | 1998 | 3 दिन | मेघायल |
जानकी रामचंद्रन | 1988 | 23 दिन | तमिलनाडु |
सी एच मोहम्मद कोया | 1979 | 45 दिन | केरल |
फिलहाल अभी चर्चा का विषय महाराष्ट्र सरकार का चल रहा है, जिसको लेकर हर तरफ सिर्फ चर्चा ही चर्चा हो रही है, फैसला कुछ नहीं हो रहा है। कभी कोई सरकार बनाने को लेकर अपनी पार्टी से चर्चा करने पर समय बर्बाद कर रहा है तो कोई बिना किसी को बताए सरकार बना लेता है।
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