नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक केस पर गुरूवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। फैसले में दो वयस्कों के बीच सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अपराध मानने वाली धारा 377 को खत्म कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को मनमाना करार देते हुए व्यक्तिगत चुनाव को सम्मान देने की बात कही है।
#Maharashtra: People in Mumbai celebrate after Supreme Court decriminalises #Section377 pic.twitter.com/YDabnsP9aO
— ANI (@ANI) September 6, 2018
समलैंगिकता पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए जजों ने कहा कि संवैधानिक लोकतांत्रिक व्यवस्था में परिवर्तन जरूरी है। जीवन का अधिकार मानवीय अधिकार है। इस अधिकार के बिना सभी अधिकार औचित्यहीन लगने लगते हैं। सेक्शुअल ओरिएंटेशन (यौन रुझान) बयॉलजिकल है। इस पर रोक संवैधानिक अधिकारों का हनन है।
#WATCH Celebrations in Chennai after Supreme Court in a unanimous decision decriminalises #Section377 and legalises homosexuality pic.twitter.com/0dRCLDiBYy
— ANI (@ANI) September 6, 2018
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिसंबर 2013 को सुरेश कुमार कौशल बनाम नाज फाउंडेशन मामले में दिल्ली हाइकोर्ट के फैसले को पलटते हुए समलैंगिकता को अपराध माना था। 2 जुलाई 2009 को दिल्ली हाईकोर्ट ने धारा 377 को अंसवैधानिक करार दिया था। इस मामले में पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी।
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