हिंदू धर्म में कई छोटे एवं बड़े त्यौहार आते हैं जिन्हें हिदू सभ्यता के अनुसार बहुत धूम-धाम के साथ मनाया जाता है इसके साथ ही पूजा अर्चना की जाती है। ऐसा ही एक त्यौहार है दशहरा। दशहरा हिन्दू धर्म का एक बहुत ही बड़ा त्यौहार है एवं दशहरे के त्यौहार को लेकर कई तरह की मान्यतएं हैं। बड़े जोरों -शोरों के साथ यह त्यौहार मनाया जाता है एवं आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन ही इस पर्व को मानाने का चलन है। इस दिन कई प्रकार से पूजा की जाती है।
इसे भी पढ़ें: नवरात्रि में किस तरह करें माता की पूजा
मान्यता है कि इस दिन भगवान राम दस मुख धारी रावण का वध करके एवं चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या वापस आये थे। इसे विजयादशमी का त्यौहार भी कहा जाता है। इस दिन अपराजिता पूजा के चलन को काफी मान्यता है। एवं इस पूजा को विजय मुहूर्त के दौरान करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है।
दशहरे का महत्व:
माना जाता है कि इस दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध करके असत्य पर सत्य की जीत हांसिल की थी। और इसके साथ ही जगह-जगह रावण का पुतला जलाया जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर नामक एक असुर का वध करके उसे पराजित किया था। और इस दिन जगह-जगह माँ दुर्गा की प्रतिमा की भी पूजा कि जाती है।
इसे भी पढ़ें: जानें: पितरों से पशु-पक्षियों का क्या है संबंध?
दशहरे की पूजा विधि:
पुराणों और शास्त्रों के अनुसार इस दिन अस्त्र शस्त्र की पूजा की जाती है। दशहरे वाले दिन प्रातः घर के आंगन में गोबर के चार पिण्ड मण्डलाकर रूप में बनाये जाते हैं। इन पिंडों को भगवान् राम समेत उनके भाइयों की छवि माना जाता है। गोबर से चार बर्तन बनाये जाते हैं उनमें भीगा हुआ धान और चांदी को रखा जाता है और उसे वस्त्र से ढक दिया जाता है। गंध, पुष्प और द्रव्य आदि अर्पित करके उनकी पूजा की जाती है। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और फिर पूरा परिवार भोजन करता है। यह त्यौहार दिवाली के पहले मनाया जाता है। एवं इस त्यौहार की हिन्दू धर्म में बहुत अधिक मान्यता है। एवं दिवाली को खुशियों का त्यौहार कहा जाता है।
इसे भी पढ़ें: कृष्णा जन्माष्टमी: भगवान श्री कृष्णा का जन्मदिवस, जाने इस पर्व के बारें में