नवरात्रि हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला बहुत बड़ा पर्व है इस दौरान माँ दुर्गा के नौ अवतारों की पूजा अर्चना की जाती है एवं हर दिन माँ दुर्गा के एक नए अवतार को समर्पित होता है। इस दौरान की जाने वाली पूजा का विशेष फल प्राप्त करने के लिए लोग तरह-तरह के प्रयत्न करते हैं। नवरात्रि के पहले दिन से नवे दिन तक इस प्रकार करें पूजा और देखें माता का चमत्कार।
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- प्रथम दिन माँ दुर्गा के शैलपुत्री अवतार को समर्पित है। माँ शैलपुत्री को लाल पुष्प अर्पण करें एवं इस मंत्र का करें 108 बार जाप करें। इससे आपकी सभी इक्षाएं पूर्ण होंगी:
“ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ओम् शैलपुत्री देव्यै नम:।“
- नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा को विशेष महत्व दिया गया है एवं जीवन में संयम लाने के लिए ब्रह्मचारिणी की पूजा करें और इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
“देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता|
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।“
- माँ दुर्गा का तीसरा रूप माँ चंद्रघंटा को माना गया है एवं नवरात्रि का तीसरा दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा को समर्पित है। शांत मन की इच्छा के लिए इस मंत्र का 108 बार करें जाप।
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“पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यां चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥“
- नवरात्रि के चौथे दिन माँ कुष्मांडा की पूजा की जाती है इनकी पूजा से सुख शांति का प्रवाह होता है। नवरात्रि के चौथे दिन करें इस मंत्र का जाप:
“सुरासम्पूर्ण रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥“
- पांचवी देवी के रूप में माँ स्कंदमाता को पूजा जाता है एवं यह दुष्टों के नाश करने वाली माता मानी जाती हैं। इनकी पूजा से दुश्मनों से बचा जा सकता है। नवरात्रि के पांचवे दिन इस मंत्र का करें जाप:
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“देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।“
- नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा का महत्व है इन्हें इस दिन कमल पुष्प चढ़ाकर इस मंत्र का करें जाप:
“चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दू लवर वाहना |
कात्यायनी शुभं दद्या देवी दानव घातिनि ||”
- नवरात्रि का सांतवा दिन माँ कालरात्रि को समर्पित है। इस दिन इस मंत्र का 108 बार जाप करने से हर अभिलाषा पूर्ण होती है:
“नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
एक वेधी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकणी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।।
वामपदोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी।।“
- नवरात्रि का आंठवा दिन माँ महागौरी को समर्पित है। इस दिन को अभिलाषा पूर्ति के लिए विशेष महत्व दिया गया है। इस दिन करें इस मंत्र का जाप:
“श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।“
- नवरात्रि का नवां दिन माँ सिद्धिदात्री को समर्पित है एवं इस दिन की गयी पूजा से विशेष शक्तियां प्राप्त होती हैं इस दिन इस मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए:
“है–सिद्धगन्धर्वयक्षाघैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥“
वैसे तो नवरात्रि के नौ दिन ही विशेष महत्व रखते हैं। स्नान करके और धूप बत्ती एवं भोग के साथ ही पूजा करना चाहिए। साथ ही पूजा का एक निश्चित समय निर्धारित करना चाहिए।