मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ विपक्ष ने दिया महाभियोग नोटिस

by TrendingNews Desk
आसाराम

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर पद के दुरुपयोग का आरोप लगा कांग्रेस समेत 7 दलों के 64 नेताओं ने उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं। कांग्रेस की अगुवाई में सात विपक्षी दलों के नेताओं ने शुक्रवार को राज्यसभा सभापति एम. वेंकैया नायडू से मिलकर मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस सौंपा।
महाभियोग प्रस्ताव की चर्चा काफी दिनों से थी। बजट सत्र के दौरान कांग्रेस ने इसकी मुहिम शुरू की थी। कई विपक्षी दलों ने भी उस समय प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे पर, मामला थम गया था। एक दिन पूर्व जस्टिस लोया मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के तुरंत बाद विपक्ष ने यह कदम उठाया है। नोटिस में जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ पांच आधार गिनाए गए हैं। इनमें पद के दुरुपयोग का आरोप भी शामिल हैं।

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के अनुसार संविधान के प्रावधानों के अनुसार हम देश के मुख्य न्यायाधीश को उनके गलत आचरण के लिए महाभियोग का प्रस्ताव ला सकते हैं। यह प्रस्ताव संसद की अनुमति से जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद लाया जा सकता है। इस प्रस्ताव के बारे में गुलाम नबी आजाद ने कहा कि उन्होंने सभापति से पिछले सप्ताह ही मिलने का समय मांगा था, लेकिन उनके पूर्वोत्तर के दौरे के कारण भेंट शुक्रवार को 12 बजे हो सकी। करीब 40 मिनट की मुलाकात हुई और इस दौरान उन्हें देश के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा के गलत आचरण को देखते हुए उन्हें पद से हटाने के लिए महाभियोग का नोटिस दिया। सिब्बल के अनुसार उच्चतम न्यायालय के चार जजों के आरोप लगाने के काफी समय बाद कांग्रेस पार्टी संविधान की रक्षा की खातिर अपने लोकतांत्रिक और संवैधानिक कर्तव्य निभाने जा रही है। उसे ऐसा दु:खी मन से करना पड़ रहा है। कांग्रेस और छह विपक्षी दलों ने अपने महाभियोग के प्रस्ताव में देश के मुख्य न्यायाधीश पर पद के दुरुपयोग को लेकर पांच प्रमुख आरोप लगाए हैं।

अब आगे-
सभापति प्रस्ताव स्वीकार कर लेते हैं तो तीन सदस्यीय समिति (सुप्रीम कोर्ट के जज, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस या जज,कानूनविद) आरोपों की जांच करेगी।
समिति जांच पूरी करने के बाद अपनी रिपोर्ट पीठासीन अधिकारी को सौंपेगी। इसके बाद आरोपी जज को भी अपने बचाव का मौका मिलेगा।
दोष साबित होने पर प्रस्ताव को लोकसभा और राज्यसभा से पारित करना अनिवार्य है। इसके लिए दो तिहाई सदस्यों की अनुमति जरूरी होगी।