हाल ही में, आईटीयू (इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन), जो कीसंयुक्त राज्य संघ की एक प्रमुख एजेंसी है,द्वारा वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक 2020 में भारत को दसवां 10वां स्थान मिला है।
इस रैंकिंग में अमेरिका शीर्ष स्थान पर है, उसके बाद यूनाइटेड किंगडम और सऊदी अरब एक साथ दूसरे स्थान पर हैं।सूचकांक में एस्टोनिया तीसरेस्थान पर है।
भारत ने इस सूचकांकमें दुनिया भर में दसवें स्थान पर पहुंचने के लिए संभावित अधिकतम 100 अंकों से कुल 97.5 अंक हासिल किए।भारत ने एशिया प्रशांत क्षेत्र में चौथा स्थान हासिल किया।
भारत एक वैश्विक आईटी महाशक्ति के रूप में उभर रहा है।भारतडेटागोपनीयता और नागरिकों के ऑनलाइन अधिकारों की रक्षा के लिए कड़े उपायों के साथ अपनी डिजिटलसंप्रभुता का दावा करता है।इस सूचकांक के परिणाम साइबर सुरक्षा क्षेत्र के सभी मापदंडों के तहत पर्याप्त समग्र सुधार और मजबूती को दर्शाता है।
किस आधार पर दिए जाते हैं ये स्थान?
साइबर सुरक्षा के पांच मानकों, जो हैं,कानूनी उपाय, तकनीकी उपाय, संगठनात्मक उपाय, क्षमता विकास औरसहयोग पर प्रदर्शन के आधार परएक समग्र स्कोर में एकत्रित किया जाता है।
कौन तैयार करता है ये सूचकांक?
अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ:,जो सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी है,के द्वारा इसे तैयार किया जाता है।
इस संस्था को संचार नेटवर्क में अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी की सुविधा के लिए 1865 में स्थापित किया गया। इसका मुख्यालयजिनेवा, स्विट्जरलैंड में है। यह वैश्विक रेडियो स्पेक्ट्रम और उपग्रह कक्षाओं को आवंटित करता है, तकनीकी मानकों को विकसित करता है जो सुनिश्चित करता है कि नेटवर्क और प्रौद्योगिकियों को निर्बाध रूप से आपस में जोड़ा जाए।
हाल ही में, भारत को 2019 से 2022 तक 4 साल के कार्यकाल के लिए ITU परिषद के सदस्य के रूप में चुना गया। भारत 1952 से एक नियमित सदस्य बना हुआ है।
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भारत के लिए क्या चुनौतियां हैं?
भारत में हार्डवेयर के साथ-साथ सॉफ्टवेयर साइबर सुरक्षा उपकरणों में स्वदेशीकरण का अभाव है। यह भारत के साइबरस्पेस को बाहरी ताकतोंद्वारा प्रेरित साइबर हमलों के प्रति संवेदनशील बनाता है।
इसके अतिरिक्त, भारत के पास EUके जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (GDPR) या अमेरिका के क्लेरिफाइंग लॉफुल ओवरसीज यूज ऑफ डेटा (CLOUD) एक्ट जैसा ‘सक्रिय साइबर डिफेंस’ नहीं है।
भारत के इस क्षेत्र में प्रयास:
राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति 2020 में अधिक कड़े ऑडिट के माध्यम से साइबर जागरूकता और साइबर सुरक्षा में सुधार के लिए बात की गई है।
नागरिकों के डेटा को सुरक्षित करने के लिए न्यायमूर्ति बीएन श्रीकृष्ण समिति की सिफारिश के आधार पर तैयार व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2018 का मसौदाइस ओरएक प्रशंसनीय कदम है।
सभी प्रकार के साइबर अपराधों से व्यापक और समन्वित तरीके से निपटने के लिए अक्टूबर 2018 में I4C स्थापित करने की योजना को मंजूरी दी गई थी।
नेशनल कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी-इन) सभी साइबर सुरक्षा प्रयासों, आपातकालीन प्रतिक्रियाओं और संकट प्रबंधन के समन्वय के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करती है।
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