इराक में 2014 में आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के चंगुल में फंसे 39 भारतीय मजदूरों के परिवार वालों के लिए बुरी खबर आई। सभी भारतीयों कामगारों के मारे जाने की खबर मिलने के बाद मृत्कों के परिजनों के आंखों में आंसूओं का शैलाब उमड़ पड़ा।
इराक में 2014 में आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के द्वारा ईराक के शहर मोसुल पर कब्जा करने के बाद 40 भारतीयों ने भारतीय दूतावास से मदद की गुहार लगाई थी। लेकिन इस मामले में भारतीय दूतावास नें 2014 में कहा था की सारे 39 भारतीय बंधक जिंदा है।
लेकिन इस मामले में अब इराक के दूतावास द्वारा सभी 39 भारतीय लोगों की मौत की पुष्टी कर दी गई हैं।जबकि एक व्यक्ति भागने में सफल रहा था। मारे गए सभी व्यक्ति इराक में एक कंस्ट्रक्शन कम्पनी में मजदूरी का काम करते थे।
इराकी ऑथरिटी के अनुसार सभी कामगारों को मोसुल के बादुश में आईएसआईएस के आतंकवादीयों के द्वारा जिंदा जला दिया गया। इराकी ऑथरिटी ने राडर के मदद से टीले के नीचे क्रबिस्तान मिला जहां इन लाशों को जलाया गया था। सभी लाशों को सिनाख्त कर ली गई है।
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इराकी अधिकारी नाजिहा अब्दुल आमिर अल-शिमारी ने कहा, ‘दएश आतंकी गुटों ने जघन्य अपराध किया है।’ अरबी में इस्लामिक स्टेट ग्रुप को दएश कहते हैं। नाजिहा का कहना है कि जो लाशें मिली हैं वो भारतीयों की हैं। उनका सम्मान करना चाहिए। लेकिन आतंकी इस्लाम के सिद्धांत का अपमान कर रहे हैं।
संसद में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सदन को बताया कि सर्च ऑपरेशन टीम ने बादुश के नजदीक एक टीला पाया। स्थानीय लोगों का कहना था कि यहीं बंदियों को जलाया गया था।
इराकी अथॉरिटी ने रडार के इस्तेमाल से यह पता लगाया कि टीला के नीचे कब्रिस्तान है। स्वराज ने कहा कि इसके बाद उन लाशों को निकाला गया। भारतीय अथॉरिटी ने रिश्तेदारों का डीएनए सैंपल भेजा। स्वराज ने कहा कि ये कब्र 39 लोगों की है लेकिन अभी तक डीएनए का पूरी तरह मिलान नहीं हो पाया है।
by – MANISH K.R SRIVASTAVA