नई दिल्ली। आज चार दिन हो गए हैं, विक्रम को खोए हुए। अभी तक उसके बारे में कुछ खास पता नहीं लग पाया है। इसरो के वैज्ञानिक लगातार विक्रम से संपर्क साधने में लगे हुए हैं। मगर विक्रम लैंडर से संपर्क होगा या नहीं इसका तो पता नहीं, लेकिन इसरो वैज्ञानिक और खुद इसरो चेयरमैन डॉ. के. सिवन भी इस बात का दावा कर चुके हैं कि, चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर चांद के चारों तरफ 7 साल तक चक्कर लगा सकता है।
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इस आधार पर किया गया दावा
ऑर्बिटर 7 साल तक चांद के चक्कर लगा सकता है… इसकी खबर तो हमने आपको दे दी। लेकिन कैसे इस बात को जानना भी बेहद जरूरी है। बता दें कि, जिस समय चंद्रयान-2 लॉन्च हुआ था, उस समय ऑर्बिटर का ईंधन 1697 किलो था। अभी ऑर्बिटर में करीब 500 किलो ईंधन है जो उसे सात साल से ज्यादा समय तक काम करने देगा। मगर एक बात का डर ओर है, डर की बात ये है कि, अंतरिक्ष का वातावरण उसे इतने साल तक वहां काम करने देगा या नहीं। क्योंकि अंतरिक्ष में आने वाले पिंड़ों, सैटेलाइटों, तूफानों और उल्कापिंडों से बचने के लिए ऑर्बिटर को अपनी कक्षा में बदलाव करनी पड़ेगी। ऐसे में ईंधन खत्म होगा और ऑर्बिटर का जीवनकाल कम हो जाएगा।
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45 दिनों में कुल 2 घंटे 49 मिनट ऑन हुआ ऑर्बिटर का इंजन
22 जुलाई से लेकर 4 सितंबर तक ऑर्बिटर करीब 2 घंटे 49 मिनट तक ऑन किया गया। यानी पृथ्वी की पांचों कक्षाओं और चांद की पांचों कक्षाओं में अपनी स्थिति बदलने के लिए 8970 सेकंड तक ऑन किया गया। यानी करीब 2 घंटे 49 मिनट तक इंजन ऑन किया गया। हर बार कक्षा में बदलाव करने में उसका ईंधन खर्च हुआ। इसलिए अभी, जब वह चांद के चारों तरफ चक्कर लगा रहा है, तब उसके पास करीब 500 किलो ईंधन है।
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